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बेहद गरीबी में जी रही है दो गोल्ड मेडल जीत चुकी 16 साल की सयानी घोष

एक तरफ गरीबी, दूसरी तरफ रिश्तेदारों के ताने झेलकर सयानी घोष स्वीमिंग में बड़ा मुकाम हासिल करने में जुटी हुई है।

By Rajeevkumar Singh
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कोलकाता। गुवाहाटी में फरवरी में हुए साउथ एशियन फेडरेशन गेम्स (सैफ) में स्वीमिंग में दो गोल्ड मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन करने वाली 16 साल की सयानी घोष आज भी बेहद गरीबी के हालात में जी रही है।

अभी भी वह खराब आर्थिक हालातों से जूझते हुए ओलंपिक गेम्स में खेलने का सपना संजोए हुई है और उसको एक अदद नौकरी की तलाश है।

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एक कमरे में परिवार के साथ रहती है सयानी

एक कमरे में परिवार के साथ रहती है सयानी

हावड़ा जिले के बाली में कोलकाता के दस किलोमीटर की दूरी पर सयानी का घर है। एक कमरे के इस घर में थोड़ी सी जगह है जिसमें सयानी अपने मां-बाप के साथ रहती है।

यह इतना छोटा कमरा है कि अगर कोई मेहमान आ जाए तो उसे बिठाने के लिए इसमें जगह नहीं है। अब इसी से पता चलता है कि देश की यह टैलेंटेड स्वीमर किन हालातों से जूझ रही है।

सयानी के रिश्तेदार करते हैं उसको परेशान

सयानी के रिश्तेदार करते हैं उसको परेशान

सयानी घोष के पिता अपने घर के पास फुटपाथ पर रोल बेचकर थोड़ी-बहुत कमाई करके परिवार का गुजारा चलाते हैं।

सैफ गेम्स में मिली सफलता और ख्याति के बाद अब आस-पड़ोस में रहने वाले सयानी के रिश्तेदार, झगड़ा और गाली गलौच करते हैं।

सयानी कहती हैं, 'रिश्तेदार मेरी सफलता से जलते हैं इसलिए मुझे बदनाम करने की कोशिश करते हैं। हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि अपना मकान कहीं और शिफ्ट कर सकें।'

गरीबी और रिश्तेदारों के तानों से जूझ रही सयानी

गरीबी और रिश्तेदारों के तानों से जूझ रही सयानी

16 साल की छोटी उम्र में सयानी दुनिया में मुकाम हासिल करने के लिए कठिन संघर्षों से गुजर रही हैं। एक तरफ गरीबी और दूसरी तरफ रिश्तेदारों के ताने झेल रही सयानी कहती हैं, 'कुछ महीने पहले उनके पास स्वीमिंग कॉस्ट्यूम्स नहीं थे। सैफ में गोल्ड मेडल जीतने के बाद ईस्ट बंगाल क्लब ने एक लाख रुपए का सहयोग दिया जिससे मैं कॉस्ट्यूम्स खरीद सकी।'

सयानी की मां ने कहा, 'हमने उन पैसों से दो स्वीमिंग कॉस्ट्यूम्स और एक हैंड पैडलर खरीदा ताकि सयानी ऑफ सीजन में फिटनेस प्रैक्टिस कर सके।'

सयानी ने 2005 में शुरू की थी स्वीमिंग

सयानी ने 2005 में शुरू की थी स्वीमिंग

सयानी पहले स्वीमिंग करने से हिचकती थी। उसने 2005 में स्वीमिंग शुरू की। नेशनल स्वीमर रह चुके कोच सुरजीत गांगुली ने सयानी को ट्रेनिंग दी है। उन्होंने बताया कि सयानी के अंदर स्वीमिंग को लेकर जुनून है।

सयानी ने कहा, 'ओलंपिक में जाना मेरा मकसद है और मैं अपने टारगेट को पाना चाहती हूं। इसके लिए मैं रोज चार घंटे प्रैक्टिस करती हूं। लेकिन मेरे पास पैसे नहीं हैं। मुझे नौकरी की सख्त जरूरत है। तभी मैं अपना घर बदल पाऊंगी।'

केंद्रीय खेल मंत्रालय ने दिया आश्वासन, नहीं मिली मदद

केंद्रीय खेल मंत्रालय ने दिया आश्वासन, नहीं मिली मदद

सैफ में गोल्ड मेडल जीतने के बाद केंद्रीय खेल मंत्रालय ने सयानी को वित्तीय मदद देने का वादा किया था। लेकिन वह अब तक सयानी को नहीं मिल पाई है।

गरीबी से जूझ रहे सयानी घोष जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए देश में कोई ठोस ढांचा नहीं है और सरकारी स्तर भी कुछ खास नहीं किया जाता। इन वजहों से ये प्रतिभाएं दम तोड़ देती हैं।

सयानी घोष को अभी भी उम्मीद है कि उनको सरकार की तरफ से मदद मिलेगी तभी वह अपने बुरे आर्थिक हालातों से उबरकर ओलंपिक में पदक जीतने का सपना साकार कर सकेगी।

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English summary
16 years old Swimmer Sayani Ghosh won two gold medals in SAF games. She is facing financial distress and hope that govt will help.
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