कैसे खत्म होगा शाहीन बाग का धरना? स्वराज कौशल बोले- वैसे ही जैसे बाबा रामदेव का अनशन समाप्त हुआ था
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले दो महीने से ज्यादा वक्त से धरना प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शनकारी केंद्र सरकार से सीएए वापस लेने की मांग कर रहे हैं। धरने के चलते इलाके की सड़कें बंद हैं। सड़कों को खुलवाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन को वार्ताकार नियुक्त किया। दोनों ही सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं। साथ ही शीर्ष अदालत ने पूर्व IAS और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह को भी मामले की निगरानी करने को कहा। हबीबुल्लाह ने कोर्ट में हलफनामा दायर किया, जिसके बाद बीजेपी की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल ने एक ट्वीट कर हबीबुल्लाह को ही इस समस्या की 'वजह' बता दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने धरना खत्म करने का तरीका भी बता दिया।
जैसे बाबा रामदेव का अनशन हुआ था खत्म वैसे ही होगा
स्वराज कौशल ने ट्वीट किया, 'मैंने देखा कि शाहीन बाग की महिलाएं कह रही हैं कि प्रधानमंत्री यहां आएं, हमसे बात करें। हिंदुस्तान का प्रधानमंत्री कभी गया है क्या। कौन सी दुनिया में हो। क्या कोई समझाने वाला नहीं है।' जब एक ट्विटर यूजर ने उनसे सवाल पूछा, 'आप बताइए सर फिर ये धरना कैसे खत्म होगा। क्या करना चाहिए सरकार को।' जवाब में वह लिखते हैं, 'जैसे बाबा रामदेव का हुआ था।'
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वजाहत हबीबुल्लाह समस्या की वजह बन गए हैं
इतना ही नहीं, स्वराज कौशल ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'वजाहत हबीबुल्लाह समस्या की वजह बन गए हैं। आपसे कहा गया था कि इस खाई को पाटिए लेकिन आपने इसे और बढ़ा दिया। आपसे कहा गया था कि दिल्ली-नोएडा रोड खाली कराने के लिए प्रदर्शनकारियों को मनाइए। आप 68 दिनों तक ब्लॉक की गई नाकाबंदी की वजह लेकर लौटे। ये जनादेश से परे है।'
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ऐसे खत्म हुआ था बाबा रामदेव का अनशन
यूपीए सरकार के करप्शन और देश में बढ़ती ब्लैकमनी की समस्या के खिलाफ योग गुरु स्वामी रामदेव ने ऐतिहासिक जंग छेड़ी। पहले उन्होंने देशभर का भ्रमण कर जनसमर्थन जुटाया और उसके बाद सरकार के आरपार की लड़ाई का ऐलान करते हुए चार जून 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान पर अनशन पर बैठ गए। उनके इस अनशन को हजारों लोगों ने रामलीला मैदान पहुंचकर समर्थन दिया। देशभर में भी उनके समर्थन में एक बड़ा तबका इस आंदोलन के तहत धरने पर बैठा। जब रामदेव ने अनशन खत्म करने से इनकार कर दिया तो तत्कालीन कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने प्रेसवार्ता की। सिब्बल ने तब मीडिया को एक पत्र दिखाया जिसमें बाबा रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण के दस्तखत थे। इस पत्र में कहा गया था कि रामलीला मैदान पर सिर्फ एक दिन का सत्संग होगा। मीडिया में इस पत्र का सार्वजनिक होने के बाद पत्रकारों ने रामलीला मैदान पर रामदेव पर सवालों की बौछार कर दी। रामदेव ने तब गुस्से में ऐलान किया कि अब वे किसी सूरत में रामलीला मैदान से नहीं हटेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी न हो जाएं। इसके बाद गृहमंत्री पी चिदंबरम के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने रात करीब 12 बजे रामलीला मैदान में सीधा एक्शन लिया। जबरन लाठीचार्ज कर मैदान को खाली कराया गया। इस भगदड़ में बाबा की एक भक्त राजबाला गंभीर रूप से घायल हो गई जिसने लंबे इलाज के बाद दम तोड़ दिया। खुद रामदेव वहां से गायब हो गए और दूसरे दिन चैनलों पर उनकी फुटेज जब सामने आई तो वे उत्तराखंड में नजर आए। बाबा ने उस समय महिलाओं का सलवार-सूट पहन रखा था। रामदेव इसी वेश में मीडिया के सामने आए और उन्होंने यूपीए सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि रामलीला मैदान में उनकी हत्या की साजिश रची गई थी। रामदेव ने इसके बाद अस्पताल में ही अपना अनशन जारी रखा जिसे बाद में साधु-संतों ने तुड़वाया।
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