आरोपों में घिरा विदेशी एनजीओ, स्वदेशी जागरण मंच ने की बैन की मांग
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच ने भारत में काम कर रहे ऐसे गैर सरकारी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है, जो आरोपों का सामना कर रहे हैं और कुछ दवा कंपनियों के टीकों का प्रचार कर रहे हैं। स्वदेशी जागरण मंच ने केंद्रीय और राज्य सरकारों से मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ), ग्लोबल हेल्थ स्ट्रैटेजीज (जीएचएस) जैसे अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ के कामकाज की समीक्षा करने की मांग की है।
स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक अश्विनी महाजन ने आरोप लगाया कि वित्तीय सेवाओं का विभाग बीएमजीएफ के राष्ट्रीय प्रमुख की नियुक्ति की जांच कर रहा था जो विदेश निधि की निगरानी के लिए एक रेग्युलेटर भी है। स्वास्थ्य मंत्रालय में एक संयुक्त सचिव पर भी गंभीर आरोप हैं। महाजन ने कहा कि वो संयुक्त सचिव राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के लिए उत्तरदायी था और जीएचएस एचपीवी जैसी टीकों के उपयोग के लिए लॉबिंग कर रहा है।
महाजन ने कहा कि जीएचएस का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। 2013 में संसदीय बोर्ड कमेटी ने मंजूरी लेने की प्रक्रिया में भी गंभीर चूक पाई थी। कमेटी ने एनजीओ के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की सिफारिश भी की थी। लेकिन ये एनजीओ अभी भी काम कर रहे हैं जैसे पहले करते थे।
स्वदेशी जागरण मंच ने आरोप लगाया कि इस प्रकार के एनजीओ अपने एजेंडे के जरिए विभिन्न राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित कर रहे हैं। स्वदेशी जागरण मंच बार-बार सरकार को इस संबंध में अलर्ट करता रहा है। स्वदेशी जागरण मंच ने कहा कि ये बहुत ही गंभीर मामला है।
इन संगठनों ने पिछले कुछ सालों में बिहार, यूपी और झारखंड में अपनी पकड़ मजबूत की है। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने बीजीएमएफ के साथ एमओयू पर साइन किया था। स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार से मांग की और कहा कि भारतीय संगठनों को उचित वरीयता दी जाने की तत्काल आवश्यकता है।