राजेश पायलट ने नहीं की होती मदद तो सुष्मिता नहीं बन पातीं मिस यूनिवर्स
मुंबई, 11 जून । साल 1994 के पहले आधे से ज्यादा भारतीयों को पता ही नहीं था कि 'मिस यूनिवर्स' प्रतियोगिता और खिताब क्या होता है, सही मायने में इस खिताब का महत्व देशवासियों को ब्रह्मांड सुंदरी सुष्मिता सेन ने ही समझाया, जिन्होंने इस खिताब को पहली बार जीतकर भारत को विश्वपटल पर एक अलग पहचान दी लेकिन ये खिताब सुष्मिता सेन ने कितनी मुश्किलों के बाद जीता था, ये बात शायद बहुत कम लोगों को पता होगा।
सालों बाद सु्ष्मिता सेन ने खोला राज
एक इंटरव्यू में सु्ष्मिता सेन ने इस बारे में बड़ा राज खोला था। सुष्मिता सेन ने कहा था कि 'आयोजकों का रवैया उनके प्रति हमेशा उदासीन ही रहा और एक वक्त तो ऐसा आया कि वो सभी उनकी जगह ऐश्वर्या राय को मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भेजने के लिए सोचने लगे थे।'
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सुष्मिता सेन का खो गया था पासपोर्ट
सुष्मिता सेन ने कहा था कि 'फिलीपींस में मिस यूनिवर्स कॉन्टेस्ट के लिए जाने से पहले मेरा पासपोर्ट खो गया था, उस वक्त इवेंट की मैनेजर अनुपमा वर्मा थीं, जिन्होंने कुछ पेपर्स के आईडीप्रूफ के लिए मेरा पासपोर्ट अपने पास रखा था, मैं भी बेफिक्र थी लेकिन प्रतियोगिता के कुछ वक्त पहले अनुपमा ने कहा कि उनके पास से मेरा पासपोर्ट खो गया है।'
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'आयोजक मेरी जगह ऐश्वर्या को भेजना चाह रहे थे'
सुष्मिता ने कहा कि 'पासपोर्ट खोने की वजह से मैं कितनी निराश हो गई थी, इसे बयां कर पाना भी मेरे लिए मुश्किल है, आयोजक उतने सपोर्टिव नहीं थे, साफ तौर पर वह मेरी जगह ऐश्वर्या राय को मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भेजना चाहते थे। मुझसे कहा गया था कि पासपोर्ट इतनी जल्दी तैयार होना मुश्किल है, मिस वर्ल्ड नवंबर में है, आप बाद में जाएं, तब तक हम आपका पासपोर्ट बनवा देंगे। मैं अंदर से टूट गई थी।'
कांग्रेसी नेता राजेश पाटलट ने की थी मेरी मदद-सुष्मिता सेन
सुष्मिता सेन ने आगे कहा था कि 'तब मैं अपने बाबा के सामने रोने लगी तो मेरे बाबा ने कहा कि मैं भी कोशिश करता हूं, हालांकि उनके किसी बड़े लोगों से कनेक्शन नहीं थे, तब मेरे बाबा ने कांग्रेस के दिग्गज नेता राजेश पायलट से बात की और उन्होंने मेरी मदद की, जिसके बाद मेरा पासपोर्ट बना और फिर वो हुआ जिसने इतिहास रच दिया।'आपको बता दें कि सुष्मिता सेन ने साल 1994 में मिस यूनिवर्स का खिताब अपने नाम किया था।