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सुषमा स्वराज करनाल लोकसभा सीट से तीन बार लड़ीं और तीनों बार हारीं

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बंगलुरू। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की 67 वर्ष की असामयिक में निधन से पूरा देश स्तब्ध है। हालांकि तेज तर्रार और हाजिरजवाब राजनेता के रूप में विख्यात रहीं सुषमा स्वराज के राजनीतिक कैरियर की शुरूआत आसान नहीं रही. वर्ष 1980 में बीजेपी से जुड़ी सुषमा स्वराज अपने चौथे प्रयास में लोकसभा पहुंचने में कामयाब हुईं. इससे पहले पार्टी ने उन्हें लगातार तीन बार करनाल लोकसभा से टिकट दिया और तीनों बार सुषमा स्वराज को पराजय का सामना करना पड़ा, लेकिन 11वीं लोकसभा चुनाव में दिल्ली के साउथ दिल्ली सीट से चुनाव जीतकर सुषमा स्वराज लोकसभा में पहुंचने में अंततः कामयाब हुईं.

Sushma speech

हरियाणा के अंबाला सिटी में जन्मीं दिवंगत सुषमा स्वराज हरियाणा विधानसभा की सदस्य रह चुकी हैं। वर्ष 1980 में बीजेपी से जुड़ने से पहले सुषमा स्वराज हरियाणा में चौधरी देवीलाल की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुकी हैं। सुषमा स्वराज पहली महिला नेता थीं, जिन्हें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष पदभार संभालने का सौभाग्य हासिल हुआ। अपनी तेज-तर्रार और हाजिरजवाबी से सबको मंत्रमुग्ध करने वाली सुषमा स्वराज अपने भाषणों से विपक्ष को धाराशाई कर देती थी. यही कारण था कि उन्हें पक्ष और विपक्ष के नेताओं भी सम्मान हासिल हुआ।

राजनीति यात्रा की शुरूआती राह सुषमा स्वराज के लिए आसान नहीं थी. बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी ने सुषमा स्वराज को वर्ष 1980, वर्ष 1984 और 1989 में कुल तीन बार करनाल लोकसभा सीट से लड़ाया, लेकिन सुषमा स्वराज लगातार तीनों बार करनाल सीट से हार गईं. कांग्रेस के कद्दावर नेता चिरोंजी लाल शर्मा ने तीनों बार सुषमा स्वराज को बड़े अंतर से हराया, जिससे सुषमा स्वराज का राजनीतिक कैरियर खतरे में आ गया. वर्ष 1990 में पार्टी ने सुषमा स्वराज को राज्यसभा में भेज दिया।

Adwani

वर्ष 1996 में सुषमा स्वराज का कैरियर तब चमका जब पार्टी ने उन्हें 11वीं लोकसभा चुनाव में दिल्ली की साउथ दिल्ली सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला किया और सुषमा स्वराज साउथ दिल्ली से चुनकर पहली बार लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहीं और 13 दिन वाली बाजपेयी सरकार में सुषमा को कैबिनेट मंत्री बनीं और सूचना और प्रसारण मंत्री का पदभार सौंपा गया. इसके बाद सुषमा स्वराज राजनीतिक कैरियर का ग्राफ बढ़ता गया और 12वीं लोकसभा में भी सुषमा स्वराज दोबारा चुनकर लोकसभा पहुंची और सूचना और प्रसारण मंत्री बनाई गईं. इस बीच वर्ष 1998 में सुषमा को दिल्ली की मुख्यमंत्री चुनी गईं।

हालांकि वर्ष 1999 में कर्नाटक की बेल्लारी सीट से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव में उतारी सुषमा स्वराज एक बार फिर बुरी तरह से पराजित हुईं। बेल्लारी सीट में चुनाव में सोनिया गांधी ने जहां 51.7 फीसदी वोट हासिल किया, वहीं सुषमा को महज 44.7 फीसदी वोट से संतोष करना पड़ गया। इस पराजय के बाद एक बार पार्टी ने सुषमा को राज्यसभा भेज दिया और उन्हें कैबिनेट में शामिल कर लिया गया. वर्ष 2004 में एनडीए को लोकसभा में पराजय का मुंह देखना पड़ा और सुषमा को एक बार फिर राज्यसभा भेज दिया गया।

वर्ष 2003 में मध्य प्रदेश की विदिशा से राज्यसभा में भेजी गईं सुषमा स्वराज को राज्यसभा में डिप्टी नेता प्रतिपक्ष का पद दिया गया। इस दौरान सुषमा स्वराज का कद इतना बढ़ चुका था कि राष्ट्रपति पद के लिए उनका नाम लिया जाने लगा था. यही कारण था कि सुषमा स्वराज वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में विदिशा से रिकॉर्ड मतों से जीतकर लोकसभा पहुंची, यह उनका 10वां चुनाव था। वर्ष 2014 में हुए 16वीं लोकसभा चुनाव में एक बार सुषमा स्वराज ने विदिशा से चुनाव जीतकर इतिहास दर्ज करने में सफल रहीं, यह विदिशा में उनका दूसरा टर्म था.

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English summary
Former foreign minister sushma swaraj passed away yesterday night. veteran leader fought three times from Karnal loksabha seat but defeated in a row. She reached in loksabha in their fourth attempt.
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