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सुषमा स्वराज ताउम्र सोनिया गांधी को नहीं बोल पाई 'सखी'

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बेंगलुरू। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन के बाद से पूरा देश स्तब्ध और शोकाकुल है। 67 वर्ष की आयु में देह त्याग चुकी सुषमा स्वराज के बारे में कम ही सुनने को मिलता है कि उनका कभी किसी नेता के साथ अनबन हो सकता था, लेकिन यह पूरा सच नहीं है, क्योंकि कांग्रेस नेता सोनिया गाधी और सुषमा स्वराज के बीच की अदावत और रस्साकसी का इतिहास बहुत पुराना है.

Sushma-Swaraj

दोनों राजनेताओं के बीच अदावत की शुरूआत वर्ष 1999 में हुई जब कर्नाटक के बेल्लारी लोकसभा सीट से एकदूसरे के सामने उतरी सुषमा स्वराज बड़े अंतर से सोनिया गांधी से चुनाव हार गईं। दोनों राजनेताओं के बीच अदावत तब और सतह पर आ गई जब वर्ष 2004 लोकसभा चुनाव में यूपीए की जीत के बाद सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की अटकलों के बीच सुषमा स्वराज का रौद्र रूप लोगों ने देखा.

यूपीए सरकार में सोनिया गांधी को बनाने के प्रस्ताव के सुगबुगाहट के बीच सुषमा स्वराज ने ऐलान किया था कि अगर सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनती हैं तो वह अपने पद से त्यागपत्र दे देंगी और वह अपने बाल कटा लेंगी और भिक्षुणी का जीवन जिएंगी.सुषमा का बयान सुनकर सभी राजनीतिक पंडित हैरान थे, क्योंकि सुषमा स्वराज के ऐसे बयानों की कल्पना भी किसी ने नहीं की थी.

गौरतलब है वर्ष 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में कर्नाटक के बेल्लारी सीट पर सुषमा स्वराज ने सोनिया गांधी के खिलाफ 'आदर्श नारी' बनाम 'विदेशी महिला' के मुद्दे पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें उन्हें हार मिली थी और सोनिया संसद पहुंच गई और सत्ता में लौटी कांग्रेस नीत यूपीए ने सोनिया गांधी को पीएम बनाने का फैसला लिया तो सुषमा स्वराज बुरी तरह से बिफर गईं.

सुषमा स्वराज ने बकायदा धमकाने वाले अंदाज में कहा था कि उधर सोनिया गांधी शपथ लेंगी और इधर वह त्यागपत्र दे देंगी। इसके बाद यह लड़ाई वह भिक्षुणी के तौर पर लड़ेंगी, जिसमें वह रंगीन वस्त्र उतारकर सफेद वस्त्र धारण करेंगी, अपने केश कटा लेंगी। जमीन पर सोएंगी और भुने चने खाएंगी। इसके बाद क्या हुआ यह सभी जानते हैं। सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया और मनमोहन सिंह पीएम बनाए गए.

कहा जाता है कि वर्ष 1999 लोकसभा चुनाव में कर्नाटक के बेल्लारी से मिली हार से सुषमा स्वराज बेहद आहत थीं, क्योंकि 'आदर्श नारी बनाम विदेशी महिला' के मुद्दे को बेल्लारी की जनता ने अपने मत से ठुकरा दिया था और सोनिया गांधी को रिकॉर्ड मतों से जिता कर संसद में भेज दिया था. इसके बाद सुषमा स्वराज कई मौकों पर सोनिया गांधी को विदेशी महिला मुद्दे पर लगातार घेरती दिखीं.

यही कारण है कि ऐसा कभी सुनने को नहीं मिला कि करीब 20 वर्ष के अंतराल के बाद भी सोनिया गांधी और सुषमा स्वराज के बीच संसद और संसद के बाहर कभी सहज और औपचारिक बातचीत तक हुई और सुषमा स्वराज सोनिया गांधी को सखी बोले बिना ही अचानक दुनिया से विदा हो गईं. हालांकि सुषमा स्वराज के निधन के बाद सोनिया गांधी ने पति स्वराज कौशल को एक चिट्ठी लिखकर उनके निधन पर दुख जाहिर जरूर किया है.

यह भी पढ़ें-पंचतत्व में विलीन हुईं सुषमा स्वराज, बेटी बांसुरी ने पूरी की अंतिम संस्कार की रस्म

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English summary
As believed after bellary defeat sushama swaraj never went easy for congress leader sonia gandhi. Even she given threat to removed their head if she proposed by as pm candidate of UPA during 2004
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