अगले हफ्ते चीन के विदेश मंत्री से मिलेंगी सुषमा स्वराज, अजहर के बैन के लिए डाल सकती हैं दबाव
बीजिंग। 27 फरवरी को चीन के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, चीनी विदेश मंत्री वांग वाई से मुलाकात करेंगी। सुषमा की यह मुलाकात रूस, चीन और भारत के विदेश मंत्रियों की होने वाली कॉन्फ्रेंस से अलग होगी। खास बात है कि मुलाकात ऐसे समय हो रही है जब पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत, पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मौलाना मसूद अजहर पर बैन की मांग कर रहा है। भारत हमले के बाद से लगातार यूनाइटेड नेशंस (यूएन) में अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने की मांग कर रहा है। चीन ने हमले की निंदा तो की लेकिन अजहर पर उसका पुराना रुख कायम है।
हमेशा अजहर के प्रस्ताव पर डाला अड़ंगा
चीन ने हमेशा यूएन की प्रतिबंध लगाने वाली कमेटी में 1267 नियम के तहत अजहर को आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव को ब्लाक किया है। 27 फरवरी को चीन के ईस्टर्न झेजियांग प्रांत के वुझेन में रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की 16वीं कॉन्फ्रेंस होगी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुहांग की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। उन्होंने बताया कि तीनों विदेश मंत्री अहम अंतरराष्ट्रीय मुद्दों, आपसी हितों के क्षेत्रीय मुद्दों और त्रिपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा करेंगे। गेंग की मानें तो इस मीटिंग से जरूर काई नतीजा निकलेगा। इस मीटिंग में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी शामिल होंगे। सूत्रों की मानें तो सुषमा वेंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगी।
यूएन में खारिज चीन का विरोध
चीन का रवैया अजहर पर भले ही अड़ियल हो, लेकिन यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल (यूएनएससी) में उसके विरोध को भी नजरअंदाज कर दिया है। गुरुवार को यूएनएससी ने पुलवामा में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। जो बात सबसे अहम है उसके तहत यूएनएससी ने इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद को जिम्मेदार करार दिया। यूएनएससी की ओर से हमले को कायरतापूर्ण और डरावना करार दिया गया। यूएनएससी में एक प्रस्ताव पास कर हमले की निंदा की गई। सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी पर अगर यकीन करें तो चीन नहीं चाहता था कि ऐसा कोई प्रस्ताव पेश किया जाए। चीन ने तो यहां तक अनुरोध किया था कि जम्मू कश्मीर को 'इंडियन एडमिनिस्ट्रेटेड कश्मीर' यानी 'भारत प्रशासित कश्मीर' कहा जाए। इसके अलावा प्रस्ताव के एक हिस्से पर भी चीन को आपत्ति थी जिसमें कहा गया था, 'सभी देशों से अपील है कि वह भारत सरकार के साथ मिलकर सहयोग करें।'