कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए पहला जत्था रवाना, जानिए खास बातें
रविवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए पहले जत्थे को दिल्ली से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
नई दिल्ली। रविवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए पहले जत्थे को दिल्ली से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान सुषमा स्वराज ने कहा कि इस पवित्र यात्रा पर जाने का उन्हीं यात्रियों को मौका मिला है जिन्हें खुद भोलेनाथ ने बुलाया है।
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गौरतलब है कि कैलाश मानसरोवर का आयोजन प्रतिवर्ष जून से सितंबर के बीच होता है। इस यात्रा के लिए दो मार्ग है, पहला मार्ग उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा से होकर जाता है जिससे यात्रा में लगभग 24 दिन का समय लगता है वहीं दूसरा मार्ग सिक्किम के नाथुला दर्रा से होकर जाता है और इस मार्ग से यात्रा करने में करीब 21 दिन का समय लगता है।
आइए जानते हैं इस यात्रा से जुड़ी खास बातें
कैलाश मानसरोवर को शिव-पार्वती का घर
कैलाश मानसरोवर को शिव-पार्वती का घर माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर शिव-शंभू का धाम है। यही वह पावन जगह है, जहां शिव-शंभू विराजते हैं। पुराणों के अनुसार यहां शिवजी का स्थायी निवास होने के कारण इस स्थान को 12 ज्येतिर्लिगों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कैलाश बर्फ से आच्छादित 22,028 फुट ऊंचे शिखर और उससे लगे मानसरोवर को कैलाश मानसरोवर तीर्थ कहते हैं और इस प्रदेश को मानस खंड कहते हैं।
मानसरोवर तिब्बत की एक झील
मालूम हो कि हिंदू धर्म के लिए खास महत्व रखने वाली मानसरोवर तिब्बत की एक झील है। जो कि इलाके में 320 वर्ग किलोमाटर के क्षेत्र में फैली है। इसके उत्तर में कैलाश पर्वत और पश्चिम में राक्षसताल है। यह समुद्रतल से लगभग 4556 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी त्रिज्या लगभग 88 किलोमीटर है और औसत गहराई 90 मीटर।
क्या है मान्यता?
हिंदू मान्यता के मुताबिक मानसरोवर झील सर्वप्रथम भगवान ब्रह्मा के मन में उत्पन्न हुई थी इसलिए मानसरोवर कहते हैं क्योंकि ये मानस और सरोवर से मिलकर बनी है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है - मन का सरोवर। यहां देवी सती के शरीर का दांया हाथ गिरा था। इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उसका रूप मानकर पूजा जाता है।
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बौद्ध धर्म-जैन धर्म
बौद्द धर्म और जौन धर्म के लिए भी ये मानक है। बौद्ध धर्म को मानने वाले कहते हैं कि यहीं पर रानी माया को भगवान बुद्ध की पहचान हुई थी तो जैनियों के लिए भी ये पवित्र स्थल है।
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'पहले जत्थे में सिर्फ 58 यात्री'
रविवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए पहले जत्थे को दिल्ली से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।विदेश मंत्री ने कहा कि यात्रा के लिए 4500 लोगों ने आवेदन किया और इनमें से पहले जत्थे के लिए 60 लोगों का चयन किया गया है। इसके लिए उन्होंने लॉटरी निकाली और भाग्यशाली लोगों को इस यात्रा पर जाने का अवसर मिला। इनमें से 2 यात्री चिकित्सा के स्तर पर सही नहीं पाए गए इसलिए इस जत्थे में सिर्फ 58 यात्री जा रहे हैं।