मोदी के लिए आडवाणी से अलग हुई सुषमा स्वराज
सूत्रों के अनुसार तेलंगाना मुद्दे पर पार्टी नेताओं में बैठक हुई थी, जिसके बाद पार्टी ने आडवाणी की इच्छा को दरकिनार कर दिया। इस मसले पर पार्टी के प्रमुख नेताओं सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह, अरूण जेटली और नरेंद्र मोदी की राय पहले से ही स्पष्ट थी। पार्टी का मानना था कि तेलंगाना को यूपीए के प्रभाव में और सीमांध्र को भाजपा के प्रभाव में पनपने का मौका दिया जाए।
यह ध्यान देने योग्य है कि आंध्र में भाजपा का प्रभाव नहीं है, अत: पार्टी तेलंगाना मामले पर समर्थन कर वहां कुछ लाभ लेने का प्रयास कर रही है, वहीं यूपीए ने 2004 में ही तेलंगाना निर्माण की बात की थी, अत: अगर यह विभाजन न हो पाता तो पार्टी की किरकिरी हो जाती।
इसके पहले भी नरेंद्र मोदी को गोवा कार्यकारिणी की बैठक में चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाये जाने और उनको प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी बनाये जाने पर आडवाणी ने नाराजगी जताई थी लेकिन उनकी नाराजगी को दरकिनार कर दिया गया। जिसके बाद आडवाणी ने कई बार सार्वजनिक मंचों पर मोदी की तारीफ भी की थी।
प्रधानमंत्री पद के बारे में भाजपा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने एक चैनल में सवाल जवाब के दौरान कहा था कि हमारी पार्टी में कई ऐसे लोग हैं जो कि प्रधानमंत्री पद के योग्य हैं लेकिन हमने जनता में लोकप्रियता के आधार पर अपना प्रत्याशी तय किया है और मोदी के चुनाव प्रचार अभियान से पार्टी तीन राज्यों में सरकार बनाने में भी कामयाब रही।