सुशील मोदी ने पूछा- जब कश्मीर से अल्पसंख्यकों को भगाया, तब क्यों नहीं जागे शाहीन बाग के लोग
नई दिल्ली। कश्मीरी पंडितों के साथ साल 1990 में हुए नरसंहार और अमानवीयता के चलते आज वह देश के अन्य राज्यों में ही शरणार्थी का जीवन जी रहे हैं। कश्मीरी पंडितों के पलायन को आज पूरे 30 वर्ष हो चुके हैं लेकिन अभी भी उन्हें अपना घर नसीब नहीं हुआ है। घटना के 30 साल पूरे होने से एक दिन पहले यानी शनिवार को ट्विटर पर #HumWapasAayenge (हम वापस आएंगे) ट्रेंड करने लगा। इसके साथ ही कश्मीरी पंडितों को एक बार फिर कश्मीर में बसाए जाने की मांग उठने लगी है।
सुशील कुमार मोदी ने किया ट्वीट
सोशल मीडिया पर कश्मीरी पंडितों के सपोर्ट में बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी एक ट्वीट किया है। उन्होंने कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर दिल्ली में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर निशाना साधा है। सुशील मोदी कहते है कि जब धार्मिक अल्पसंख्यकों को 30 साल पहले कश्मीर भागने के लिए मजबूर किया गया तो शाहीन बाग ने कभी अपनी आवाज क्यों नहीं उठाई? बता दें कि दिल्ली के शाहीन बाग में करीब एक महीने से महिलाएं, युवा और पुरुष सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं जिसके चलते यातायात बाधित हुआ है।
#HamWapasAayenge Why Shaheen Bagh never raised their voice when religious minorities were forced to flee Kashmir 30 yrs ago ?
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) January 19, 2020
गिरिराज सिंह ने भी दिया बड़ा बयान
बता दें कि, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी कश्मीरी पंडितों पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अपने ही देश में वो शरणार्थी का जीवन जी रहे हैं, मेरा मानना है कि जिन लोगों ने जिस मंसूबे से कश्मीरी पंडितों को भगाया था, अब वो घटा छंटने लगा है, माहौल बदलने लगा है, फिर कश्मीरी पंडित वापस आएंगे, मैं भगवान से यही प्रार्थना करता हूं। गौरतलब है कि देश में लाखों की संख्या में रह रहे कश्मीरी पंडित आज भी अपने घर वापस जाने के इंतजार में हैं।
कश्मीरी पंडितों पर आ रही है फिल्म
विधू विनोद चोपड़ा के निर्देशन में बनी फिल्म शिकारा का ट्रेलर 7 जनवरी को रिलीज कर दिया गया है। इसे फॉक्स स्टार हिंदी के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया है। फिल्म में आदिल खान लीड रोल में हैं और सादिया लीडिंग लेडी का किरदार निभा रहे हैं। फिल्म में कश्मीरी पंडितों की कहानी दिखाई गई है कि उस वक्त उन्हें कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा और कैसे उन पर अत्याचार हुए। फिल्म कश्मीरी पंडितों का दर्द महसूस करवाने की कोशिश कर रही है।
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