क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

सुशांत सिंह राजपूत मामला: ड्रग्स को लेकर भारत में कैसे हैं कानून?

रिया चक्रवर्ती के भाई और सुशांत सिंह राजपूत के मैनेजर को नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज़ ऐक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है. क्या है ये ऐक्ट?

By प्रवीण शर्मा
Google Oneindia News
रिया चक्रवर्ती
PUNIT PARANJPE
रिया चक्रवर्ती

सुशांत सिंह राजपूत मामले में रिया चक्रवर्ती के भाई शौविक चक्रवर्ती और सुशांत सिंह के मैनेजर रहे सैमुअल मिरांडा को 9 सितंबर तक नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की हिरासत में भेज दिया गया है.

ड्रग्स सप्लाई करने के संदिग्ध कैजेन को भी 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. इसके बाद एनसीबी ने सुशांत सिंह राजपूत के घरेलू सहायक दीपेश सावंत को भी ड्रग्स ख़रीदने और उसके लेनदेन के मामले में गिरफ़्तार किया.

एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर केपीएस मल्होत्रा ने बताया है कि सावंत को डिजिटल सबूतों और बयानों के आधार पर गिरफ़्तार किया गया है.

दूसरी ओर, एक अन्य मामले में सेंट्रल क्राइम ब्रांच (सीसीबी) ने कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में नशीले पदार्थ के इस्तेमाल मामले में फिल्म अभिनेत्री रागिनी द्विवेदी को गिरफ्तार किया है.

सुशांत मामले और अब कन्नड़ फ़िल्मों की अभिनेत्री की गिरफ़्तारी से फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स के इस्तेमाल और इनके कारोबार को लेकर चर्चा छिड़ गई है.

क्या है एनडीपीएस ऐक्ट

इन मामले से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) जैसी लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियां और एनडीपीएस ऐक्ट भी सुर्खयों में आ गए हैं.

बीबीसी के लिए क़ानूनी मामलों को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुचित्र मोहंती बताते हैं कि शौविक चक्रवर्ती और सैमुअल मिरांडा को नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज़ ऐक्ट, 1985 (एनडीपीएस) के सेक्शन 20बी, 28 और 29 के तहत गिरफ्तार किया गया है.

एनडीपीएस ऐक्ट का सेक्शन 20बी के तहत ड्रग्स की खरीदारी, उत्पादन, अपने पास रखने, खरीद-फरोख्त करने और इसे ट्रांसपोर्ट करने को अपराध माना गया है.

एनडीपीएस ऐक्ट के सेक्शन 28 में अपराध करने की कोशिश के तहत सज़ा दिए जाने का प्रावधान है. सेक्शन 29 उकसाने और आपराधिक षड्यंत्र के लिए सज़ा देना शामिल है.

सुचित्र मोहंती कहते हैं कि शौविक चक्रवर्ती, सैमुअल मिरांडा पर इन्हीं चीजों के आरोप लगाए गए हैं, और दोषी पाए जाने पर उन्हें 10 साल तक की सज़ा दी जा सकती है. एनसीबी को 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होगी.

सैमुअल मिरांडा
Hindustan Times
सैमुअल मिरांडा

पश्चिमी देशों और मध्य-पूर्व के देशों में ड्रग्स के इस्तेमाल और इसके कारोबार में लगे लोगों के लिए कड़ी सजा के प्रावधान हैं.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील संजय दुबे कहते हैं कि भारत में एनडीपीएस ऐक्ट के तहत कनविक्शन रेट (सज़ा जिए जाने की दर) काफी ज्यादा है.

वे कहते हैं, "इसमें तकरीबन 95 फीसदी कनविक्शन रेट है."

हालांकि, वे कहते हैं कि कई बार ऐसा होता है कि लोगों को झूठे मामलों में फंसाया जाता है और निचली अदालतों में उन्हें दोषी ठहरा दिया जाता है.

दुबे कहते हैं, "जब केस ऊपरी अदालतों में पहुंचता है तो फैसले बदल जाते हैं."

शौविक चक्रवर्ती
Hindustan Times
शौविक चक्रवर्ती

एनडीपीएस के तहत सज़ा के प्रावधान

एनडीपीएस ऐक्ट की धाराएं अफीम-18(ग), कैनबिस-20, कोका-16 के तहत लाइसेंस के बिना अफीम, भांग या कोका के पौधों की खेती करने पर 10 साल तक की सज़ा या 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.

इस ऐक्ट की धारा 24 के तहत देश के बाहर से ड्रग्स लाने और इसकी आपूर्ति करने पर सख्त सज़ा का प्रावधान किया गया है. इसके तहत 10 से 20 साल तक की सजा और 1 लाख रुपये से 2 लाख रुपये तक के जुर्माने की व्यवस्था की गई है.

ड्रग्स ट्रैफिकिंग पर लगाम लगाने के मकसद से नारकोटिक्स ड्रग्स की खेती करने, इसके उत्पादन, खरीद-फरोख्त, अपने पास रखने, इस्तेमाल करने, आयात-निर्यात करने के लिए कड़ी सजा रखी गई है.

एनडीपीएस अधिनियम की धारा 31ए के तहत ड्रग्स से जुड़े अपराधों को दोहराने के लिए सबसे सज़ा यानी मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया है.

अब तक दुनिया के 32 देशों में नारकोटिक्स से जुड़े अपराधों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है.

एडवोकेट संजय दुबे कहते हैं, "हमारे यहां एनडीपीएस ऐक्ट 1985 में आया और इसके बाद से इसमें कोई संशोधन नहीं हुआ है. वक्त की जरूरत को समझते हुए इसमें बदलाव करने की जरूरत है."

सुचित्र मोहंती कहते हैं, "भारत में ड्रग्स के धंधे से जुड़े या इसका इस्तेमाल करने वाले शायद ही किसी शख्स को सज़ा मिल पाती है."

वे कहते हैं कि शौविक और सैमुअल को कैसी सजा हो पाती है यह पुलिस की छानबीन पर निर्भर करता है.

सुशांत सिंह राजपूत
Hindustan Times
सुशांत सिंह राजपूत

सुधारों की जरूरत

हालांकि, संजय दुबे कहते हैं कि नारकोटिक्स अपराध हों या दूसरे किसी तरह के मामले, इन सब में सबसे महत्वपूर्ण है न्यायिक व्यवस्था को दुरुस्त करना.

दुबे कहते हैं, "हमारे यहां न्यायिक सिस्टम में जवाबदेही तय होना जरूरी है. कई बार ऐसा होता है कि निचली अदालत में कोई फैसला आता है, मगर अपील में वह फैसला ऊपरी अदालत में खारिज हो जाता है. इसका क्या मतलब है?"

वे कहते हैं, "जब इस तरह के फैसले आते हैं तो उसमें लोगों का और न्यायपालिका दोनों का वक्त और पैसा दोनों बर्बाद होता है. यूएई या दूसरे देशों में 7-8 महीनों में आरोपी दोषी या दोषमुक्त ठहरा दिया जाता है. हमारे यहां फैसला आने में सालों लग जाते हैं."

दुबे कहते हैं, "मुक़दमों का समयबद्ध तरीके से निस्तारण होना चाहिए."

एनडीपीएस की संचरना

एनडीपीएस ऐक्ट के तहत नारकोटिक्स कमिश्नर (सेक्शन 5), कंपीटेंट अथॉरिटी (सेक्शन 68डी) और एडमिनिस्ट्रेटर (सेक्शन 68जी) जैसे कानूनी प्राधिकरण बनाए हैं.

नारकोटिक्स कमिश्नर की अगुवाई वाले संस्थान को सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स (सीबीएन) कहते हैं. एक अन्य अथॉरिटी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को इस एनडीपीएस ऐक्ट के सेक्शन 4 के तहत खड़ा किया गया है. इन सभी संस्थाओं के कामकाज तय हैं.

नियमों के मुताबिक, एनडीपीएस ऐक्ट का प्रशासन वित्त मंत्रालय के अधीन डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू देखता है.

संजय दुबे कहते हैं कि भारत में एनडीपीएस कानून ब्रिटेन के नारकोटिक्स अपराधों को रोकने के लिए बनाए गए कानून पर आधारित है.

हालांकि, ड्रग डिमांड को कम करने से जुड़े कामकाज को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय देखता है. इसके लिए यह मंत्रालय अलग-अलग एनजीओ के साथ मिलकर काम करता है.

भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय देशभर के सरकारी अस्पतालों में कई नशा-मुक्ति केंद्र चलाता है.

एनडीपीएस के तहत गृह मंत्रालय के अधीन नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) केंद्र और राज्य के अलग-अलग अधिकारियों के साथ मिलकर काम करता है.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Sushant Singh Rajput case: How are laws in India related to drugs?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X