सुशांत सिंह राजपूत डेथ मिस्ट्री: 50 दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली, जीरो FIR का पेंच फंसा
सुशांत सिंह राजपूत:जीरो FIR के फेर में फंसी मुंबई और पटना की पुलिस
नई दिल्ली। बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के करीब 50 दिन का वक्त बीत चुका है, लेकिन मुंबई पुलिस अब तक इस बात का पता नहीं लगा पाई है कि सुशांत के साथ आखिर क्या हुआ था। विवादों और इंवेस्टिगेशन पर जब सवाल उठे तो मुंबई पुलिस ने आकर बस इतना बताया कि सुशांत मरने से पहले गूगल पर दर्दरहित मौत के तरीके तलाश रहे थे। वहीं मुबंई पहुंची बिहार पुलिस की टीम ने एंट्री को जेम्स बॉन्ड की तरह ली, लेकिन जांच से ज्यादा वो गाड़ियों की वजह से विवादों में उलझती रही। हालात ये हैं कि अब सुशांत सिंह राजपूत के मौत का मामला न केवल दो राज्यों की पुलिस बल्कि दो राज्यों की सरकारों के बीच का मसला बन गया है, जिसपर जमकर राजनीति भी हो रही है। इस बीच ये जानना भी जरूरी है कि आखिर दो राज्यों के बीच एक FIR कैसे विवाद की वजह बन गया है।
जीरो FIR के बीच फंसी दो राज्यों की पुलिस
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मुंबई में ब्रांदा स्थित उनके फ्लैट में हुई, लेकिन सुशांत के परिवार ने इस मामले में FIR बिहार के पटना में दर्ज करवाया। यही बात विवाद की पहली वजह बन गई। मुंबई पुलिस ने सवाल उठाए कि बिहार पुलिस मुंबई जाकर सुशांत की मौत की जांच कैसे कर सकती है? वहीं बिहार के डीजीपी ने साफ कहा हमारी टीम सुशांत के पिता के द्वारा दर्ज करवाई गई FIR पर काम कर रही है। ऐसे में इस बात समझना जरूरी है कि आखिर कानून क्या कहता है।
दो राज्यों के पुलिस के बीच विवाद
दरअसल सुशांत के पिता केके सिंह ने पटना के राजीव नगर थाने में अभिनेत्री रिया चक्रबर्ती के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। मामला पटना में दर्ज करवाया गया, जबकि सुशांत की मौत मुंबई में हुई। ऐसे में तो कायदे से मामले की जांच का अधिकार मुंबई पुलिस के पास है, क्योंकि घटनास्थल उनके अधिकारक्षेत्र में आता है, लेकिन चूंकि एफआईआर पटना में दर्ज करवाई गई तो जीरो FIR कानून के तहत इसे दर्ज किया गया। आपको बता दें कि साल 2012 में निर्भया केस के बाद 2013 में जस्टिस वर्मा कमेटी ने देश में ज़ीरो एफआईआर की शुरुआत की थी, जिसमें देश के किसी भी कोने में शिकायतकर्ता अपनी शिकायत को दर्ज करवा सकता है। भले ही अपराध किसी भी राज्य में हुआ हो। इसी के तहत केके सिंह की जीरो FIR पटना में दर्ज की गई। वहीं कानून ये भी कहता है कि ज़ीरो एफआईआर दर्ज करने के बाद उसे उस राज्य या उस इलाके के पुलिस को सौंप देना चाहिए, जहां घटना घटी है। यानी इस हिसाब से पटना पुलिस को जीरो FIR मुंबई पुलिस के हवाले कर देनी चाहिए थी। इसी कानून के आधार पर मुंबई पुलिस पटना पुलिस को सुशांत सिंह मामले के जांच से दूर रखे हुए हैं, जिसकी वजह से उस पर असहयोग करने का आरोप लग रहा है।
आमने-सामने दो राज्य
इस मामले में मुंबई पुलिस कमिश्नर ने भी कहा कि पटना पुलिस को अधिकार ही नहीं मुंबई आकर जांच करें। जिसपर बिहार पुलिस के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि अगर ऐसा है तो मुंबई पुलिस लिखित में ये दे सकती थी, लेकिन ना तो उन्होंने ऐसा किया और न ही सुशांत के मौत मामले में कोई FIR दर्ज की। वो अब तक सुशांत के मौत को संदिग्ध नहीं मान रहे हैं। जबकि मुबंई पुलिस का कहना है कि उन्हें सुशांत के परिवार की ओर से कोई शिकायत नहीं मिली है। बिना सिखायकत के भी हमने अपनी तफ्तीश जारी रखी है।
वकील ने लगाए आरोप
सुशांत के पिता केके सिंह के वकील ने भी मुबंई पुलिस की जांच के तरीके पर सवाल उठाए हैं। सुशांत के पिता के वकील विकास सिंह ने पटना के एसपी विनय तिवारी को जबरन क्वारंटीन किए जाने के आपत्ति जताई और कहा कि मैं सोच भी नहीं सकता कि कोई राज्य सरकार एक सरकारी अधिकारी को ऐसे क्वारंटाइन करेगी। उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी को क्वारंटाइन करने का मतलब, उसे जांच करने से रोकना है। मुंबई पुलिस सुनिश्चित कर लेना चाहती है कि सबूत पूरी तरह से नष्ट हो जाएं। आपको बता दें कि सुशांत सिंह मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर बिहार सरकार ने अपनी अनुशंसा केंद्र को भेज दी है।वहीं एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती के वकील सतीश मानशिंदे ने कहा है कि यह केस बिहार सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
सुशांत सिंह मामले में सवालों के घेरे में मुंबई पुलिस, केंद्रीय मंत्री ने भी CBI जांच की मांग