सुशांत केस: पूर्व IPS अधिकारियों की याचिका पर मंत्री देशमुख ने मुंबई पुलिस के लिए बोली ये बात
सुशांत केस: पूर्व IPS अधिकारियों की याचिका पर मंत्री देशमुख ने मुंबई पुलिस के बोली ये बात
मुंबई। सुशांत सिंह राजपूत मौत केस को लेकर मुंबई पुलिस की जांच को लेकर उठ रहे सवालों को लेकर पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। मुंबई के 8 पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने इस याचिका में सुशांत सिंह राजपूत केस में मीडिया पर इस घटना के पक्षपाती कवरेज में लिप्त होने और झूठे प्रचार द्वारा जांच को प्रभावित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं दस केस में मीडिया ट्रायल पर रोक लगाने लगाने की मांग की है। वहीं अब महाराष्ट्र गृहमंत्री अनिल देशमुख ने पूर्व आईपीएस अधिकारियों की इस याचिका का स्वागत किया है।
गृह मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस और मुंबई पुलिस की प्रतिष्ठा है
मंत्री देशमुख ने मुंबई पुलिस की तुलना स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस से की, जिसे दुनिया की सबसे अच्छी सेनाओं में से एक माना जाता है, और राजपूत के मामले में उनको निशाना कैसे साधा गया, इसकी निंदा की।"राज्य के गृह मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस और मुंबई पुलिस की प्रतिष्ठा है। महाराष्ट्र पुलिस की तुलना स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस से की जाती है। जिस तरह से सुशांत सिंह राजपूत मामले में मुंबई पुलिस को निशाना बनाया गया, मैं सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारियों द्वारा दायर जनहित याचिका का स्वागत करता हूं।
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सुशांत केस में मीडिया ट्रायल के खिलाफ दाखिल की याचिका
बता दें महाराष्ट्र के पांच पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), मुंबई पुलिस के दो पूर्व आयुक्त और आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के प्रमुख ने राजपूत में "मीडिया ट्रायल" के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है। पूर्व डीजीपी पीएस पसरीचा, के सुब्रमण्यम, डी शिवनंदन, संजीव दयाल, सतीश चंद्र माथुर; मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त महेश एन सिंह, धनंजय एन जाधव और एटीएस के पूर्व प्रमुख केपी रघुवंशी ने सोमवार को जनहित याचिका दायर की।
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गलत रिर्पोटिंग कर मुंबई पुलिस की छवि खराब न करें
सेवानिवृत्त अधिकारियों ने मीडिया पर इस घटना के पक्षपाती कवरेज में लिप्त होने और झूठे प्रचार का निर्माण करके जांच को प्रभावित करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। इस पीआईएल में कहा गया है, "इसने आम जनता के मन में संदेह उत्पन्न कर दिया है। जैसा कि जांच के तहत मामले के तथ्यों के साथ-साथ मुंबई पुलिस, स्वास्थ्य सेवाओं और राज्य की अन्य सहायता सेवाओं के बारे में मीडिया में रिर्पोटिंग की है। इस पीआईएल में कहा गया है कि गलत रिर्पोटिंग कर मुंबई पुलिस की छवि खराब न करें। जो सही है उस पर तटस्थ होकर भूमिका निभाए।