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जानें विदेशियों को 'किराए की कोख' न मिलने से सरोगेसी के धंधे पर कितने का पड़ेगा असर

Foreigners will Not Get the Womb of Rent,This Will Reduce the Business of Surrogacyविदेशियों को 'किराए की कोख' न मिलने से सरोगेसी का धंधा हो जाएगा मंदा !

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बेंगलुरु। भारत में तेजी बढ़ते सरोगेसी करोबार को लगाम कसने के लिए केन्‍द्रीय कैबिनेट ने बुधवार को सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2020 को मंजूदी दे दी हैं। इस नए बिल के अनुसार अब कोई भी महिला अपनी इच्‍छा से सेरोगेट मां बन सकेगी। इतना ही नहीं निसंतान जोड़ों के अलावा विधवा और तलाकशुदा महिलाएं भी कुछ शर्तों के तहत सरोगेट मदर बन सकेंगी। लेकिन नए बिल के अनुसार किसी भी विदेशी को भारत आकर सरोगेसी के जरिए बच्‍चा पैदा करने की इजाजत नहीं होगी। इस नए बिल को मंजूरी मिलने से पिछले कुछ सालों से भारत में सरोगेसी के बढ़े कारोबार पर बड़ा झटका लगेगा। आइए जानते हैं विदेशियों की किराए की कोख पर रोक लगने से सरोगेसी के कारोबार पर क्या फर्क पड़ेगा?

50 फीसद विदेशी लेते थे किराए की कोख

50 फीसद विदेशी लेते थे किराए की कोख

बता दें पहले ही सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2019 में कई नए नियम कानून बनाए गए हैं। इसमें कॉमर्शियल सरोगेसी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सिर्फ मदद करने के लिए ही सरोगेसी का ऑप्शन खुला रह गया है। इसके बावजूद अभी भी 90 फीसदी मामलों में महिलाएं सरोगेसी के लिए अपनी कोख का किराया लेती हैं। भारत में पिछले कुछ वर्षों में सरोगेसी के तेजी से फलते-फूलते कारोबार की प्रमुख स्रोत विदेशी ही थे। नंवबर में सरोगेसी बिल आकड़ों के अनुसार हर साल विदेशों से आए दंपति यहां 2,000 बच्चों को जन्म देते हैं । विदेशियों से आईवीएफ सेंटरों को मुंह मांगी कीमत मिलती हैं इसलिए ऐसे सेंटर हर वर्ष कारोड़ों के कारोबार में भारी मुनाफा कमा रहे थे। सरोगेट मदर का चयन करने वालों में 50 फीसद अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, स्विटजरलैंड के नागरिक व अप्रवासी भारतीय सरोगेट हैं।

भारत में हैं 3 हजार आईवीएफ सेंटर

भारत में हैं 3 हजार आईवीएफ सेंटर

भारत में कुल तीन हजार आइवीएफ सेंटरों पर सेरोगेसी मदर-चाइल्ड केयर की सुविधा है। वर्ष 2018 में इन सेंटरों पर किराए की कोख से वर्ष भर में करीब पांच हजार बच्चों का जन्म हुआ। वहीं वर्ष 2019 में दंपतियों ने सरोगेसी मदर से मुंह फेर लिया। ऐसे में गत वर्ष सिर्फ दो हजार शिशुओं ने ही सरोगेसी मदर से जन्म दिया। इनमें से 50 फीसदी विदेशियों ने किराए की कोख ली थी।

इसलिए विदेशियों के लिए भारत बना सरोगेसी हब

इसलिए विदेशियों के लिए भारत बना सरोगेसी हब

बता दें भारत में सेरोगेसी तकनीकि दुनिया के अन्य देशों की तुलना में पांच से दस गुना तक सस्ती है और यहां अच्छे डॉक्टरों से लैस विश्वस्तर के आइवीएफ केंद्र भी हैं। वहीं, देश में गर्भ धारण करने के लिए कमजोर वर्ग की असहाय महिलाएं भी आसानी से उपलब्ध हैं और यहां इस संबंध में अब तक कठोर कानून के न होने की वजह से सरोगेसी के प्रति विदेशियों में गजब का आकर्षण बना हुआ था । विदेशी भारत में सरोगेसी को चिकित्सा पर्यटन के तौर पर देखते रहे हैं। लेकिन अन्य देशों की तरह अब यहां भी विदेशियों के लिए सरोगेसी पर प्रतिबंध लगने के कारण भारत जो सरोगेसी का हब बन चुका था उससे बड़ा झटका लगेगा। हालांकि इस नए बिल के पास होने से सरोगेट माताओं का जो अब तक शोषण होता था उस पर भी रोक लग सकेगी।

20 से 30 लाख रुपये के बीच आता है सरोगेसी का खर्चा

20 से 30 लाख रुपये के बीच आता है सरोगेसी का खर्चा

हालांकि, सरोगेसी का मकसद जरूरतमंद नि:सन्तान जोड़ों मदद करना था, मगर धीरे-धीरे कुछ लोगों ने इससे पूरी तरह से व्यवसायिक बना दिया है। भारत में इसका खर्च 10 से 25 लाख रुपए के बीच आता है, जबकि अमेरिका में इसका खर्च करीब 60 लाख रुपये तक आ सकता है। व्यावसायिक सरोगेसी एक धंधा बन गया था और कुछ लोग गरीब महिलाओं को जबरन इस धंधे में धकेल रहे थे। 90 फीसदी मामलों में सरोगेसी के लिए कोख का किराया दिया जाता हैं। विदेश से आने वाले लोगों के लिए जिन्हें बच्चे की चाह थी, उनकी इच्छा पूर्ति के लिए गरीब महिलाओं की कोख का शोषण हो रहा है। जिस पर सरकार रोक लगाना चाह रही है। सामान्य सरोगेसी में नि:संतान दम्पति को यह सुविधा उपलब्ध है, जबकि आजकल अपने शौक के लिए भी लोग इसका दुरुपयोग करने लगे हैं।"

व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध होगा

व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध होगा

गौरतलब हैं कि इस नए बिल में व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध होगा और इसके प्रचार प्रसार पर भी रोक लगाने की सिफारिश की गई है। नए विधेयक के मुताबिक कोई भी विदेशी व्यक्ति भारत में सरोगेसी के जरिए बच्चे पैदा नहीं कर सकेगा। सरकार इस विधेयक के जरिए देश में सरोगेसी की आड़ में हो रहे गरीब महिलाओं के शोषण और इस प्रक्रिया के एक व्‍यवसाय के रुप में फलने-फूलने की स्थिति पर लगाम लगाने की कोशिश हैं। बता दें ये विधेयक 2016 से बार-बार संसद में लाया जाता रहा लेकिन देश में कुछ निहित स्‍वार्थी तबके ऐसे हैं जो इस प्रयास को नेस्‍तनाबूद करने में हमेशा तत्‍पर रहे इसी वजह से ये कानून पारित नही हो सका था।

नए बिल में ये हैं प्रावधान

नए बिल में ये हैं प्रावधान

नए बिल के मसौदे में राज्य सभा की सिलेक्ट कमेटी की सभी सिफारिशों को शामिल किया गया है। कमेटी ने सरोगेसी बिल के पुराने ड्राफ्ट का अध्ययन करके किराए की कोख के व्यापार पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। इसके साथ ही नए बिल में इसे नैतिक रूप देने की बात कही गई थी। प्रस्तावित बिल में प्रावधान किया गया है कि सिर्फ भारतीय जोड़े ही देश में सरोगेसी के जरिए संतान प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए किसी भी जोड़े में शामिल दोनों सदस्यों का भारतीय होना जरूरी होगा। नए विधेयक के मुताबिक कोई भी विदेशी व्यक्ति भारत में सरोगेसी के जरिए बच्चे पैदा नहीं कर सकेगा। भारतीय विवाहित जोड़े, विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के विवाहित जोड़े और अकेली भारतीय महिलाएं कुछ शर्तों के अधीन सरोगेसी का फायदा उठा सकेंगी। हालांकि अकेली महिलाओं की स्थिति में उनका विधवा या तलाकशुदा होना जरूरी होगा। साथ ही उनकी उम्र 35 से 45 साल के बीच होनी चाहिए।

पुराने बिल में संशोधन किया गया

पुराने बिल में संशोधन किया गया

सरोगेसी के नए प्रस्तावित बिल में पुराने विधेयक को संशोधित किया गया है, जिसे लोकसभा ने 2019 में मंजूरी दी थी। इसमें केवल नजदीकी रिश्तेदार महिला को ही सरोगेट मदर बनने की इजाजत दी गई थी। इस प्रावधान की काफी आलोचना हुई थी। इसके बाद सरकार ने विधेयक को राज्यसभा की सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की सहमति दी थी। कमेटी का अध्यक्ष भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव को बनाया गया था। इस कमेटी को विस्तार से चर्चा करके नए बिल के बारे में अनुशंसा करने को कहा गया था। संशोधित बिल को अगले महीने शुरू होने वाले बजट सत्र के दूसरे भाग में पेश किए जाने की संभावना है।

सरोगेसी क्या है?

सरोगेसी क्या है?

सरोगेसी में कोई भी शादीशुदा कपल बच्चा पैदा करने के लिए किसी महिला की कोख किराए पर ले सकता है। जो औरत अपनी कोख में दूसरे का बच्चा पालती है, वो सरोगेट मदर कहलाती है। सरोगेसी में एक महिला और बच्चे की चाह रखने वाले कपल के बीच एक एग्रीमेंट किया जाता है। इसके तहत इस प्रेग्नेंसी से पैदा होने वाले बच्चे के कानूनन माता-पिता वो कपल ही होते हैं, जिन्होंने सरोगेसी कराई है। सरोगेट मां को प्रेग्नेंसी के दौरान अपना ध्यान रखने और मेडिकल जरूरतों के लिए पैसे दिए जाते हैं ताकि वो प्रेग्नेंसी के दौरान अपना ख्याल रख सके। सरोगेसी भी दो तरह की होती है।

दो तरह से होती है सरोगेसी

दो तरह से होती है सरोगेसी

ट्रेडिशनल सरोगेसी

इस सरोगेसी में होने वाले पिता का स्पर्म सरोगेसी अपनाने वाली महिला के एग्स से मैच कराया जाता है. इस सरोगेसी में जैनिटक संबंध सिर्फ पिता से होता है।

जेस्टेशनल सरोगेसी

इस सरोगेसी में होने वाले माता-पिता के स्पर्म और एग्स का मेल टेस्ट ट्यूब के जरिए कराने के बाद इसे सरोगेट मदर के यूट्रस में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।

<strong>कैबिनेट ने नए सरोगेसी बिल के मसौदे को मंजूरी दी, जानें नियम</strong>कैबिनेट ने नए सरोगेसी बिल के मसौदे को मंजूरी दी, जानें नियम

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English summary
The surrogacy bill has been approved by the Union Cabinet. According to this, now foreigners will not get the womb of rent to produce children. Know what will harm the business of surrogacy?
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