कैबिनेट ने नए सरोगेसी बिल के मसौदे को मंजूरी दी, जानें नियम
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2020 के मसौदे को मंजूरी दे दी। कैबिनेट ने विधवा और तलाकशुदा महिलाओं को सरोगेसी की सुविधा देने का फैसला किया है। नए सरोगेसी बिल में करीबी रिश्तेदार के अलावा किसी महिला के स्वेच्छा से सरोगट बनने के विकल्प को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी प्रावधान रखे गए थे।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा कि, नए बिल के मसौदे में राज्य सभा की सिलेक्ट कमेटी की सभी सिफारिशों को शामिल किया गया है। कमेटी ने सरोगेसी बिल के पुराने ड्राफ्ट का अध्ययन करके किराए की कोख के व्यापार पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। इसके साथ ही नए बिल में इसे नैतिक रूप देने की बात कही गई थी। राज्यसभा की 23 लोगों की सलेक्ट कमेटी ने सरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2019 में सुझाए गए 15 बड़े बदलावों में इनफर्टिलिटी की परिभाषा बदलने को हटाने को कहा था।
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि प्रस्तावित बिल में प्रावधान किया गया है कि सिर्फ भारतीय जोड़े ही देश में सरोगेसी के जरिए संतान प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि, इसके लिए किसी भी जोड़े में शामिल दोनों सदस्यों का भारतीय होना जरूरी होगा। उन्होंने कहा- महिलाओं के संतान को जन्म देने के अधिकार के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुला नजरिया रखते हैं। उन्होंने गर्भपात और तकनीकी मदद से गर्भधारण करने को कानूनी जामा पहनाने के लिए लाए जाने वाले सरोगेसी बिल की जमकर पैरवी की है।
नए नियम के तहत सेरोगेट मदर को मेडिकल कवर भी 18 महीने से बढ़ाकर 36 महीने कर दिया गया है। इसके अलावा केंद्र में नेशनल सरोगेसी बोर्ड और राज्यों में स्टेट सरोगेसी बोर्ड बनाने का प्रावधान किया गया है। अलग-अलग स्तर पर बनाए जाने वाले ये बोर्ड ही सरोगेसी की प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। केंद्र शासित प्रदेशों में भी इसके लिए सक्षम अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी।
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