गाजीपुर हिंसा: शहीद सुरेश वत्स के परिजनों की मांग, मौत के बदले चाहिए मौत
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद गाजीपुर में भीड़ की पत्थरबाजी में करीमुद्दीनपुर थाने में तैनात हेड कॉन्स्टेबल सुरेश वत्स की जान चली गई थी। शहीद सुरेश वत्स का पार्थिव शव आज प्रयागराज लाया गया है जहां हिंदू रीति-रिवाजों के अंतिम संस्कार किया जाएगा। सीओ समेत रानीगंज के कई पुलिसकर्मियों ने पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान बेटे के आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे, तो पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल था।
पत्नी ने कहा- मुआवजा नहीं, मौत के चाहिए मौत
आरोप है कि शनिवार को पीएम मोदी की रैली में लगी वीआईपी ड्यूटी से लौटते वक्त आरक्षण की मांग कर रहे निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पथराव कर गाज़ीपुर जिले में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात सुरेश वत्स को मौत के घाट उतार दिया था। शहीद सुरेश वत्स रानीगंज कोतवाली के लच्छीपुर गांव के रहने वाले थे। जब उनकी शहादत की खबर प्रतापगढ़ जिले के लच्छीपुर गांव पहुंची तो परिवार में कोहराम मच गया। शहीद की पत्नी और परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल था।
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शहीद की पत्नी डिम्पल सिंह ने खाकी पर गम्भीर आरोप लगाए
गाजीपुर से लौटी शहीद की पत्नी डिम्पल सिंह ने खाकी पर गम्भीर आरोप लगाए। सीओ रानीगंज, एसपी एस आनंद तो घर पहुंचे लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि उनके गांव नहीं पहुंचा। पत्नी ने खाकी की भूमिका को संदिग्ध बताया। उन्होंने सरकार से मुआवजे की बजाय इंसाफ की मांग की। परिवारवालों का कहना है कि सिर्फ जांच के नाम पर खानापूर्ति से उन्हें इंसाफ नहीं मिलेगा, मौत के बदले सिर्फ मौत चाहिए।
सीएम योगी ने किया था 40 लाख के मुआवजे का ऐलान
इसके पहले, सुरेश वत्स के बेटे वीपी सिंह ने अपने पिता की मौत का ठीकरा पुलिस पर फोड़ा था। व्यथित बेटे ने कहा कि पुलिस मेरे पिता को नहीं बचा सकी, ऐसे में हम उनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं, पिता की मृत्यु के बाद हम मुआवजे का क्या करेंगे। गौरतलब है कि हेड कॉस्टेबल सुरेश वत्स के परिजनों को सीएम योगी आदित्यनाथ ने 40 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है।