तो रेल की काया पलट देगा प्रभु का बजट
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) हो सकता है कि सुरेश प्रभु ने आज जिस रेल बजट को लोक सभा में पेश किया उससे बहुत से लोग नाखुश हो। पर यह पहला बजट है जिसमें अगले पांच वर्ष में इसके पूरी तरह रुपांतरित कर देने की घोषणा है।
कार्ययोजनायें कभी पेश नहीं
जानकार मानते हैं कि इसके पूर्व रेलवे की काया पूरी तरह बदल देने की इतनी विस्तृत कार्ययोजनायें कभी प्रस्तुत नहीं की गई थी। रुपांतरण की पांच वषों की नींव इसमें डाली गई है। यह सपना साकार हो गया तो फिर आज जो भारतीय रेल है वह रहेगा ही नहीं। किसी नए रेल की घोषणा नहीं, कोई लोकलुभावन बात नहीं।
उत्कृष्ट संतुलन
वरिष्ठ टिप्पणीकार अवधेश कुमार कहते हैं कि रेलवे की आधारभूत संरचना को बिल्कुल पलट देने के साथ उच्च वर्ग एवं आम आदमी के बीच उत्कृष्ट संतुलन बनाया है। नई घोषणाओं की जगह जो है उसे मजबूत और बेहतर बनाने की योजना हैं। यहघोषणा कि रेलवे सार्वजनिक निकाय बना रहेगा, कभी निजी निकाय नहीं बनेगा।
परिवहन क्षमता 3 करोड़
रेल मंत्री ने रेल की दैनिक यात्री परिवहन क्षमता को 2.1 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ करने की योजना दी है। यानी घनत्व का विस्तार करके भी धन पाया जा सकता है। दूसरी बड़ी योजनाओं पर ज्यादा फोकस है। तो धन आयेगा कहां से? चीन ने अपने रेलवे के विस्तार के लिए धन देश के अलग-अलग संस्थाओं से कर्ज के रुप में प्राप्त किया। यही काम अमेरिका ने किया, जापान ने किया।
केवल किराया बढ़ाना सपनाविहीन और गैर साहसी नजरिया है। मूल बात है कि रेलवे के विस्तार और सक्षमता के लिए लोग कैसे इसमें धन लगायें। उसके लिए परिश्रम करना फिर रेलवे को उस धन के आधार पर लाभ के ढांचे में परिणत करना। सुरेश प्रभु का बजट उसी ओर लक्षित है।
राज्यों को साझेदार बनाने का कदम
तो यह एक सपना है। पहली बार राज्यों को इसमें साझेदार बनाने का कदम उठाया गया है कि आपको रेलवे चाहिए तो कुछ आधारभूत संरचना आप विकसित करिए। तो ये राज्यों के पास जाएंगे।
कुछ मंत्रलयों को जोड़ा गया है मिलकर सहकारी ढांचा विकसित करने के लिए। वास्तव में अलग से रेल बजट की जगह इसे पूरी तरह मोदी के आर्थिक विकास, स्वच्छता कार्यक्रम, स्किल विकास, डिजटलीकरण आदि का भाग बनाया गया है।
अवधेश कुमार कहते हैं इसलिए इस समय हम आशंका उठाने की जगह कामना करें कि रेलवे के आमूल रुपांतरण की जो उन्होंने कल्पना की है वह पूरी हो। यह पूरा हो गया तो बजट रेलवे के इतिहास में ही नहीं, आर्थिक विकास का इसे वाहक बनाने की दृष्टि से भी मोड़ विन्दु साबित होगा।
इस बीच,कुछ विशेषज्ञ कह रहे हैं कि किराया बढ़ाना चाहिए था अन्यथा सपने को पूरा होना कठिन होगा। प्रभु ने कहा कि डीजल के दाम घट रहे हों, आप यात्री को उचित सेवा नहीं दे पा रहे हों और आप भाड़ा बढ़ा दीजिए तो लोग इसे सहन कर पाएंगे।