किस गैरराजनीतिक संदेशवाहक की मुलाकात से पिघले अजित पवार, अब हुआ खुलासा
आखिर कौन है वो शख्स, जिसके साथ हुई मुलाकात से पिघल गया अजित पवार का दिल, अब हुआ नाम का खुलासा...
नई दिल्ली। महाराष्ट्र की सियासत में मंगलवार को उस वक्त बड़ा उलटफेर देखने को मिला, जब देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद की शपथ लेने के महज चार दिनों के भीतर ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया। देवेंद्र फडणवीस की सरकार के खिलाफ शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसपर कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट कराए जाने का आदेश दिया। हालांकि फ्लोर टेस्ट से पहले ही अजित पवार ने डिप्टी सीएम और देवेंद्र फडणवीस ने सीएम के पद से इस्तीफा दे दिया। इस पूरे घटनाक्रम में शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति के 'असली चाणक्य' बनकर उभरे और 'बागी' हुए अजित पवार की वापसी कराई। हालांकि अजित पवार की घर वापसी में सबसे बड़ा रोल निभाया, शरद पवार के दामाद और सुप्रिया सुले के पति सदानंद सुले ने।
अजित और सदानंद की एक मुलाकात से बदला खेल
दरअसल, महाराष्ट्र में शनिवार को राजभवन में हुए शपथग्रहण के बाद सियासी घटनाक्रम तेजी से बदला। अजित पवार के भाजपा के साथ जाने के बाद एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने परिवार के लोगों और पार्टी के कुछ खास सदस्यों को अजित पवार को समझाने की जिम्मेदारी सौंपी। ये सभी लोग लगातार अजित पवार को समझाने की कोशिशों में लगे हुए थे कि इसी बीच शरद पवार की इकलौती बेटी सुप्रिया सुले के पति सदानंद सुले मंगलवार को अजित पवार से जाकर मिले।
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सदानंद ने अजित को दिया शरद पवार का मैसेज
दोनों की मुलाकात मुंबई के एक फाइव स्टार होटल में हुई और सदानंद ने शरद पवार का मैसेज अजित पवार को देते हुए साफ शब्दों में कहा कि वो परिवार और पार्टी में वापस लौटकर परिवार को बिखरने से बचाएं। सदानंद ने अजित को बताया कि शरद पवार उनसे नाराज नहीं हैं और अगर वो वापस आते हैं तो पार्टी में सबकुछ पहले जैसा ही रहेगा। सूत्रों की मानें तो सदानंद सुले के साथ मुलाकात के बाद ही अजित पवार ने अपना मन बदला और इस्तीफा देने का फैसला लिया।
शरद पवार ने चला इमोशनल कार्ड
दरअसल, भतीजे अजित पवार के भाजपा के साथ जाने के बाद शरद पवार ने एक सधी हुई रणनीति के तहत इमोशनल कार्ड के जरिए भाजपा के 'ऑपरेशन कमल' को शिकस्त दी। शरद पवार ने इस काम के लिए अपने भरोसेमंद और वरिष्ठ नेताओं की टीम को मैदान में उतारा, जिन्हें अजित पवार को मनाने का जिम्मा सौंपा गया। सरकार गठन के बाद बदले समीकरणों में एनसीपी के नेताओं ने अजित पवार को भरोसा दिलाया कि अगर वो अपना फैसला बदलते हैं तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी और पार्टी में उनकी सम्मानजनक वापसी होगी।
शरद पवार ने अजित को पार्टी से नहीं निकाला
इस दौरान शरद पवार ने अजित पवार को विधायक दल के नेता के पद से तो हटाया, लेकिन पार्टी से नहीं निकाला। यानी शरद पवार ने खुद अजित पवार को मैसेज दिया कि वो अब भी पार्टी में वापसी कर सकते हैं। एनसीपी की तरफ से पार्टी के दिग्गज नेता छगन भुजबल और प्रफुल्ल पटेल ने अजित पवार से बातचीत की। यहां तक कि जब देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री कार्यालय में अपना कार्यभार संभालने गए, उस वक्त भी छगन भुजबल लगातार अजित पवार के संपर्क में थे और उन्हें अपना फैसला वापस लेने के लिए समझाने की कोशिश में लगे थे।
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