नर्सरी पर 'सुप्रीम' फैंसला, पांच सीटें बढ़ाए दिल्ली सरकार
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया गया था और तब न्यायालय ने इसे अगले सप्ताह सुनवाई के लिये तय किया था।
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गौर हो कि शीर्ष अदालत ने 11 अप्रैल को दिल्ली के स्कूलों में नर्सरी प्रवेश पर रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायूर्ति एसए बोबडे की खंडपीठ ने उच्च न्यायालय के तीन अप्रैल के उस अंतरिम आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमे पड़ोस में रहने वाले तथा दूसरी श्रेणियों के बच्चों ने आवेदन किया था और लाटरी में चयनित बच्चों को प्रवेश देने का निर्देश दिया गया था।
न्यायालय ने देश के दूसरे हिस्सों से राजधानी आने वाले अभिभावकों की अपील पर यह आदेश दिया था। ये अभिभावक अंतर्राज्यीय स्थानांतरण श्रेणी के तहत अपने बच्चों का दाखिला चाहते हैं। इस श्रेणी को दिल्ली सरकार ने प्रवेश प्रक्रिया के दौरान खत्म कर दिया था।
इस श्रेणी के अभिभावकों के वकील ने तर्क दिया था कि दिल्ली सरकार के 27 फरवरी के निर्णय के कारण उनके मुवक्किलों को पहले के दिशानिर्देशों के अनुसार लाटरी के सफल ड्रा के बाद आबंटित सीट खाली करनी पड़ेंगी।
उच्च न्यायालय ने इस श्रेणी के बच्चों से खाली हुये स्थानों के बारे में कोई आदेश नहीं दिया था और इस मामले की सुनवाई 16 अप्रैल तक के लिये स्थगित कर दी थी। फिलहाल अब उन मां-पिता की उम्मीदें सर्वोच्च अदालत से जुड़ गईं है, जो बच्चों के एडमिशन को दर-दर भटक रहे हैं, व कई जगह अवैध डोनेशन के साथ एडमिशन होने की शिकायतें दोहरा रहे हैं।