राजस्थान राजनीतिक संकट: HC के आदेश पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कल फिर होगी सुनवाई
नई दिल्ली: राजस्थान हाईकोर्ट से पायलट गुट के विधायकों को मिली फौरी राहत के खिलाफ स्पीकर की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। स्पीकर सीपी जोशी की तरफ से वकील कपिल सिब्बल और सचिन पायलट की तरफ से वकील हरीश साल्वे ने पैरवी की। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अब शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई होगी। आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने पायलट गुट के विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए 24 जुलाई तक स्पीकर की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वहीं मामले में सचिन पायलट ने भी याचिका दाखिल कर केस में केंद्र सरकार को भी पार्टी बनाए जाने की मांग की।
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सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट निर्णय का समय बढ़ाने के लिए स्पीकर को निर्देश नहीं दे सकता है। जब तक स्पीकर विधायकों की सदस्यता को लेकर अंतिम निर्णय नहीं लेते, तब तक कोर्ट का हस्ताक्षेप मामले में नहीं होना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि पार्टी ने बैठक के लिए व्हिप जारी किया था, लेकिन पायलट का खेमा इसमें शामिल नहीं हुआ। वो लगातार सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। जिसके बाद चीफ व्हिप ने सदस्यता रद्द करने के लिए स्पीकर को एक अर्जी दी थी। जिस पर स्पीकर फैसला लेने वाले थे, लेकिन हाईकोर्ट ने रोक लगा दी।
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किस
आधार
पर
विधायक
अयोग्य?
सुनवाई
के
दौरान
जस्टिस
अरुण
मिश्रा
ने
पूछा
कि
आखिर
किस
आधार
पर
स्पीकर
विधायकों
को
अयोग्य
करार
देने
वाले
थे।
इस
पर
सिब्बल
ने
कहा
कि
पायलट
खेमा
लगातार
गहलोत
सरकार
को
गिराने
की
साजिश
रच
रहा
है।
न
उनका
फोन
मिल
रहा
और
न
ही
वो
पार्टी
नेताओं
से
बात
कर
रहे।
पार्टी
ने
उन्हें
ईमेल
के
जरिए
नोटिस
भेजा।
इसके
बावजूद
वो
नोटिस
का
जवाब
देने
की
बजाए
मीडिया
में
बयानबाजी
करते
रहे।
सिब्बल
की
दलील
पर
जस्टिस
मिश्रा
ने
कहा
कि
अगर
कोई
विधायक
पार्टी
मीटिंग
में
नहीं
आता,
तो
क्या
उसे
अयोग्य
मान
लिया
जाएगा।
'असंतोष
की
आवाज
को
दबाना
गलत'
जस्टिस
मिश्रा
के
मुताबिक
विधायक
जनता
के
प्रतिनिधि
हैं,
लोकतंत्र
में
असंतोष
की
आवाज
को
इस
तरह
से
बंद
करना
सही
नहीं
है।
पार्टी
में
रहते
हुए
विधायक
अयोग्य
नहीं
हो
सकते,
अगर
ऐसा
हुआ
तो
ये
एक
चलन
बन
जाएगा
और
कोई
आवाज
नहीं
उठाएगा।
जस्टिस
मिश्रा
ने
सिब्बल
से
पूछा
कि
स्पीकर
कोर्ट
क्यों
आए,
वो
तो
निपक्ष
होते
हैं?
जिस
पर
सिब्बल
ने
कहा
कि
बात
सिर्फ
पार्टी
मीटिंग
की
नहीं
है,
बात
यहां
पर
सरकार
गिराने
की
हो
रही
है।
इसके
अलावा
कोई
भी
न्यायिक
प्राधिकारी
विधायकों
की
योग्यता
पर
फैसला
नहीं
कर
सकता।
ये
अधिकार
सिर्फ
स्पीकर
का
है।
एक
शब्द
से
स्पीकर
को
दिक्कत?
सुनवाई
के
दौरान
कोर्ट
ने
कहा
कि
स्पीकर
को
हाईकोर्ट
ने
सिर्फ
24
जुलाई
तक
इंतजार
करने
को
कहा
है।
जिस
पर
सिब्बल
ने
कहा
कि
आदेश
से
'निर्देश'
शब्द
को
हटाएं,
कोर्ट
ऐसा
नहीं
कर
सकता
है।
इस
पर
सुप्रीम
कोर्ट
ने
पूछा
कि
क्या
सिर्फ
एक
शब्द
से
आपको
दिक्कत
है?
आदेश
को
हर
जगह
रिक्वेस्ट
कहते
हैं।
बाद
में
कोर्ट
ने
कहा
कि
इस
मामले
में
लंबी
सुनवाई
की
जरूरत
है।
वो
हाईकोर्ट
के
आदेश
पर
रोक
नहीं
लगाएंगे।
मामले
में
शुक्रवार
को
फिर
से
सुनवाई
होगी।