सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- सभी दल EC को सीलबंद लिफाफे में चंदे की जानकारी दें
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड को लेकर सुनवाई पूरी हो चुकी थी, जिसपर अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाया। सुप्रीम ने कहा कि सील बंद लिफाफे में सभी दल चुनाव आयोग को चंदे की जानकारी दें। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए सभी दलों को 30 मई तक का वक्त दिया है। कोर्ट ने साथ ही ये भी कहा कि इस मामले पर सुनवाई जारी रहेगी।इस मामले में कोर्ट ने केंद्र और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल का कहना था कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान चुनावी बांड के मुद्दे पर कोर्ट आदेश न पारित करे।
सभी दल बताएं कि अब तक कितना चंदा मिला- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों से 30 मई तक चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदा देने वालों का विवरण, उनसे प्राप्त राशि, प्रत्येक बॉन्ड पर प्राप्त भुगतान आदि का विवरण चुनाव आयोग को देने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि सभी दल बताएं कि अब तक कितना चंदा उनको प्राप्त हुआ। इसके पहले की सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और चुनाव प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इस मुद्दे पर फैसला सुनाना चाहिए।
ये भी पढ़ें: बदतमीजी पर एक्ट्रेस खुशबू ने जड़ा थप्पड़, फैंस बोले- सही किया, ऐसी ही सजा मिलनी चाहिए
|
30 मई तक चुनाव आयोग को देनी होगी जानकारी
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि चुनावी बांड राजनीतिक दान के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। चुनावी बांड से पहले, अधिकांश डोनेशन नकद के माध्यम से किए गए थे, जिससे बेहिसाब धन चुनाव में डाले गए थे। एक एनजीओ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसने अदालत में केंद्र की इस योजना की वैधता को चुनौती दी है। याचिका में मांग की गई है कि या तो चुनावी बॉन्ड जारी किए जाने पर रोक लगाई जाए या फिर पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये चंदा देने वालों के नाम सार्वजनिक किए जाएं।
|
चुनावी चंदे के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई रहेगी जारी
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अटॉर्नी जनरल से पूछा था कि क्या बैंक को चुनावी बॉन्ड जारी करने के समय क्रेताओं की पहचान का पता होता है। पीठ ने कहा कि अगर बॉन्ड के क्रेताओं की पहचान का पता नहीं है तो आयकर कानून पर इसका असर पड़ेगा होगा और कालेधन पर लगाम लगाने के आपके सारे प्रयास बेकार हो जाएंगे।