सुप्रीम कोर्ट की कमेटी में हिस्सा लेने से किसानों का इंकार, कहा- 'कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं'
कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अब किसान संगठनों का जवाब सामने आया है।
नई दिल्ली। Supreme Court verdict on farm laws. पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से दिल्ली की सीमाओं पर लगातार जारी किसान आंदोलन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले के तहत कृषि कानूनों पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चार सदस्यों की एक कमेटी का भी गठन किया है। इस फैसले के बाद किसान संगठनों ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वो सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से कृषि कानूनों पर लगाई गई रोक के आदेश का सम्मान करते हैं, लेकिन जब तक ये तीनों कानून पूरी तरह रद्द नहीं होते, वो अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, 'जब तक बिल वापसी नहीं, घर वापसी नहीं। हम तब तक आंदोलन खत्म नहीं करेंगे, जब तक सरकार इन तीनों कानूनों को वापस नहीं लेती।' वहीं, कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने कोर्ट के फैसले को लेकर एक बैठक भी बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति को लेकर फैसला लिया जाएगा।
कमेटी
की
किसी
भी
कार्यवाही
में
हम
नहीं
लेंगे
हिस्सा-
किसान
संगठन
किसान
संगठनों
के
नेताओं
ने
कहा
कि
वो
सुप्रीम
कोर्ट
की
तरफ
से
नियुक्त
कमेटी
की
किसी
भी
कार्यवाही
में
हिस्सा
लेने
के
लिए
तैयार
नहीं
है,
लेकिन
इस
बारे
में
औपचारिक
फैसला
संयुक्त
किसान
मोर्चा
की
बैठक
में
ही
लिया
जाएगा।
संयुक्त
किसान
मोर्चा
के
वरिष्ठ
नेता
अभिमन्यु
कोहर
ने
कहा,
'हम
लोग
सुप्रीम
कोर्ट
की
तरफ
से
कृषि
कानूनों
पर
रोक
लगाने
के
फैसले
का
सम्मान
करते
हैं,
लेकिन
हम
इन
कानूनों
की
पूरी
तरह
से
वापसी
चाहते
हैं।'
वहीं
किसान
नेता
हरिंदर
लोखवाल
ने
कहा,
'जब
तक
कृषि
कानूनों
को
सरकार
वापस
नहीं
लेती,
हमारा
आंदोलन
जारी
रहेगा।'
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