सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनाएगा फैसला
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाएगा।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाएगा।
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खबरों के अनुसार सरकार ने जिस तरह से हाल ही में बनाए गए 3 कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ इस पूरे मसले पर जिस तरीके से व्यवहार किया है, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने 1 माह से ज्यादा लंबे समय से राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर डेरा डाले हुए किसानों के बारे में भी चिंता व्यक्त की है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शरद अरविंद बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता के बारे में DMK सांसद तिरूचि सिवा, RJD सांसद मनोज के झा द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा था कि सरकार को सभी हितधारकों के साथ चर्चा करने के बाद इन कानूनों को पारित करना चाहिए था।
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CJI ने जोर देकर कहा, "अगर केंद्र कृषि कानूनों के कार्यान्वयन को रोकना नहीं चाहता है, तो हम इस पर रोक लगाएंगे। भारतीय संघ को इस सब की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। आप (केंद्र) कानून ला रहे हैं और आप इसे बेहतर तरीके से कर सकते हैं।" उच्चतम न्यायालय के अनुसार, इस विवाद का हल निकालने के लिए अब एक समिति का गठन किया जाएगा, जो दोनों पक्ष के लोगों से बातचीत कर बीच का रास्ता निकालेगी।
सीजेआई ने आगे कहा कि,"अगर कुछ गलत हो जाता है तो हम में से हर एक व्यक्ति जिम्मेदार होगा। हम अपने हाथों पर किसी का खून नहीं चाहते हैं।" किसान यूनियनों में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा, "संसद में ध्वनिमत से ऐसे महत्वपूर्ण कानूनों को कैसे पारित किया जा सकता है? यदि सरकार गंभीर है, तो सरकार संसद का संयुक्त सत्र आयोजित कर सकती है। सरकार ऐसा करने से भाग क्यों रही है।"