निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी दिए जाने को लेकर याचिका पर सुनवाई आज
नई दिल्ली। दिल्ली के निर्भया केस के दोषियों को जिस तरह से फांसी देने में लगातार देरी हो रही है, उसके खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से याचिका दायर की गई है, इस याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी दिए जाने को लेकर याचिका दायर की गई है, जिसपर आज सुनवाई होगी। जस्टिस आर भानुमति की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच इस याचिका पर सुनवाई करेगी। बेंच में जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस नवीन सिन्हा भी शामिल हैं। बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
पहले
खारिज
हो
चुकी
है
याचिका
इससे
पहले
दिल्ली
हाई
कोर्ट
ने
5
फरवरी
को
कहा
था
कि
सभी
दोषियों
को
एक
साथ
फांसी
दी
जानी
चाहिए।
कोर्ट
ने
कहा
था
कि
दिल्ली
कारावास
के
नियमों
में
इस
बात
का
उल्लेख
नहीं
है
कि
एक
दोषी
की
याचिका
अगर
लंबित
हो
तो
बाकी
दोषियों
को
फांसी
दी
जा
सकती
है।
बता
दें
कि
इससे
पहले
दिल्ली
की
पटियाला
कोर्ट
ने
सभी
दोषियों
को
फांसी
दिए
जाने
को
लेकर
डेथ
वारंट
जारी
किया
था।
जिसके
अनुसार
सभी
दोषियों
को
3
मार्च
को
सुबह
6
बजे
फांसी
दी
जानी
है।
इस
बाबत
2
मार्च
को
तिहाड़
जेल
में
फाइनल
ट्रायल
होगा,
हालांकि
अभी
तक
इसकी
आधिकारिक
पुष्टि
नहीं
की
गई
है।
यूपी
से
आएगा
जल्ला
माना
जा
रहा
है
कि
दोषियों
को
फांसी
देने
के
लिए
1
मार्च
को
यूपी
से
जल्लाद
तिहाड़
जेल
आ
जाएगा।
जेल
के
तमाम
अधिकारी
एक
बार
फिर
से
फांसीघर
का
निरीक्षण
करेंगे।
साथ
ही
इन
दोषियों
से
पत्र
लिखकर
अंतिम
मुलाकात
के
बारे
में
भी
पूछा
जाएगा।
गौरतलब
है
कि
राजधानी
दिल्ली
में
16
दिसंबर,
2012
को
हुए
निर्भया
गैंगरेप
और
हत्या
के
दोषियों
की
फांसी
के
लिए
पीड़ित
पक्ष
पिछले
सात
साल
से
कानूनी
लड़ाई
लड़
रहा
है।
दोषियों
से
पूछी
जाएगी
इच्छा
तिहाड़
जेल
के
अधिकारी
ने
शनिवार
को
बताया
कि,
चारों
दोषियों
से
अंतिम
बार
परिवार
से
मिलने
के
बारे
में
पूछा
गया
है।
मुकेश
और
पवन
1
फरवरी
वाले
डेथ
वारंट
से
पहले
ही
अपने
परिवार
से
मिल
चुके
हैं।
अब
अक्षय
और
विनय
से
पूछा
गया
है
कि
वह
कब
अपने
परिवार
से
मिलना
चाहते
हैं।
इसके
अलावा
जेल
प्रशासन
ने
यूपी
के
जेल
विभाग
को
जल्लाद
को
तिहाड़
बुलाने
के
लिए
पत्र
लिखा
है।
इसमें
कहा
गया
है
कि
फांसी
की
तारीख
से
दो
दिन
पहले
उसे
तिहाड़
भेजा
जाए।
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