दागी उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने के खिलाफ याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया
नई दिल्ली। राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के लिए आज सुप्रीम कोर्ट में अहम याचिका पर सुनवाई होनी थी। इस याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया और याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर राजनीतिक दलों की ओर से अपराधियों के चुनाव लड़ने के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसपर आज सुनवाई होनी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इस जनहित याचिका में मांग की गई है कि राजनीतिक दलो के भीतर यह नियम लागू किया जाए कि दागियों को पार्टी टिकट नहीं दे सकती हैं। यानि जिन लोगों के खिलाफ आरोप तय हो चुके हैं उन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त पार्टियों के टिकट नहीं देने का नियम हो, जिससे कि राजनीति में अपराधियों के आने का रास्ता बंद हो सके।
मान्यता रद्द हो
याचिका में कहा गया है कि अगर अपराधियों को राजनीतिक दल टिकट देते हैं तो उनकी मान्यता को रद्द किया जाना चाहिए। यानि अगर कोई भी राजनीतिक दल दागी को टिकट देता है तो ना सिर्फ उसकी मान्यता रद्द हो बल्कि उसका चुनाव चिन्ह भी छिन जाना चाहिए। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई कर सकती है। याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट इन तमाम बातों को लेकर चुनाव आयोग को निर्देश जारी करे। इसमे यह भी कहा गया है कि गंभीर अपराध जिसमे पांच वर्ष या इससे अधिक की सजा का आरोप कोर्ट में तय होना है, उस दागी उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया जाना चाहिए।
भाजपा
नेता
की
जनहित
याचिका
यह
जनहित
याचिका
भाजपा
नेता
अश्वनी
कुमार
उपाध्याय
ने
दाखिल
की
थी,
जिसपर
मुख्य
न्यायाधीश
जस्टिस
रंजन
गोगोई
की
अध्यक्षता
वाली
पीठ
सुनवाई
करेगी।
इस
याचिका
में
वह
तमाम
आंकड़े
भी
दिए
गए
हैं
जो
यह
दर्शाते
हैं
कि
राजनीति
में
अपराध
काफी
बढ़ा
है
और
दागी
नेताओं
की
एंट्री
हुई
है।
याचिका
में
मांग
की
गई
है
कि
1968
के
चुनाव
आचार
संहिता
के
नियमों
में
बदलाव
किया
जाए
और
गंभीर
आरोप
के
दागियों
को
टिकट
नहीं
दिया
जाए।
सुप्रीम
कोर्ट
जारी
करे
निर्देश
सुप्रीम
कोर्ट
में
दायर
याचिका
में
कहा
गया
है
कि
चुनाव
आयोग
को
संविधान
के
अनुच्छेद
324
के
तहत
इस
तरह
का
व्यापक
निर्देश
जारी
करने
का
अधिकार
है।
इसमे
कहा
गया
है
कि
इसके
लिए
चुनाव
आयोग
को
अलग
से
पड़ताल
करने
की
जरूरत
नहीं
होगी
क्योंकि
उम्मीदवार
अपने
खिलाफ
लंबित
मुकदमों
की
जानकारी
अपना
नामांकन
पत्र
में
देते
हैं,
जिसमे
उनके
खिलाफ
धाराओं
का
भी
जिक्र
होता
है।
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