CAA के खिलाफ दायर 140 याचिकाओं पर SC कल करेगा सुनवाई
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दायर तमाम याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा। नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली कुल 140 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है, जिसपर 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी। इस बेंच की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविंद बोबडे करेंगे। इस बेंच में एसए बोबडे के अलावा जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट की बेंच सीएए के खिलाफ दायर तमाम याचिकाओं और केंद्र सरकार द्वारा दायर उस याचिका पर भी सुनवाई करेगा जिसमे केंद्र सरकार ने मांग की है कि सीएए के खिलाफ जो अलग-अलग याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर की गई हैं उन्हें सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किया जाए ताकि सभी याचिकाओं पर सरकार को जवाब देने में सहूलियत हो।
क्या है सीएए
बता दें कि नागरिकता संशोधन एक्ट में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के उन हिंदू, जैन, बौद्ध, पारसी, सिख और ईसाई धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है जिन्हें उनके देश में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किया गया है और वह 31 दिसंबर 2014 से भारत में रह रहे हैं। इस कानून का तमाम राजनीतिक दल और संगठन विरोध कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि यह कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और इसमे धर्म के आधार पर लोगों से भेदभाव किया जा रहा है।
कोर्ट ने सुनवाई से किया था इनकार
इस कानून के खिलाफ कुछ याचिकाएं यह भी डाली गई हैं कि 10 जनवरी से इसे प्रभावी कर दिया गया है, लेकिन इसे प्रभावी ना माना जाए। इन तमाम याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनवाई करेगा। इससे पहले 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि देश मुश्किल समय से गुजर रहा है और इस समय बहुत अधिक हिंसा हो रही है, लिहाजा हमारी कोशिश होनी चाहिए कि शांति स्थापित की जाए। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने भी इस कानून के खिलाफ याचिका दायर की है।
मौलिक अधिकार का उल्लंघन
आईयूएमएल की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि सीएए लोगों के मौलिक अधिकार समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है और एक विशेष वर्ग के लोगों को इस कानून में धर्म के आधार पर अलग रखा गया है। बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर को नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को अपनी सहमति दे दी थी, जिसके बाद से यह विधेयक कानून बन गया था। लेकिन आईयूएमएल ने इस पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी ताकि यह प्रभावी ना हो सके।