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आरे कालॉनी में पेड़ काटे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, सुनवाई कल

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नई दिल्ली। मुंबई की आरे कालॉनी में काटे जा रहे पेड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। स्टूडेंट्स ने इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए सीजेआई को चिट्ठी लिखी थी। कोर्ट की स्पेशल बेंच 7 अक्टूबर को इस पर सुनवाई के लिए बैठेगी। विशेष पीठ कल सुबह 10 बजे इस को इस मामले पर सुनवाई करेगी। बता दें कि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इससे पहले मेट्रो शेड के लिए काटे जा रहे आरे कॉलोनी के पेड़ों का काटने से रोकने वाली याचिका पर स्टे देने से मना कर दिया था।

Supreme Court
छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई को एक पत्र लिखा था, जिसमें मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन और मुंबई पुलिस के साथ ग्रेटर मुंबई के नगर निगम द्वारा आरे में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से संज्ञान लेने का अनुरोध किया गया।जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच सुनवाई करेगी।पेड़ों की कटाई पर तुरंत रोक की मांग को लेकर कुछ छात्रों ने आज चीफ जस्टिस दफ्तर में ज्ञापन सौंपा था।

पत्र में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को अपने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल करते हुए मामले में तुरंत सुनवाई करनी चाहिए और पेड़ों के काटने पर रोक लगानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के वैकेशन ऑफिसर की ओर से इस बारे में सूचना दी गई है कि लॉ स्टूडेंट ऋषभ रंजन की ओर से लेटर लिखा गया था। इसमें बताया गया था कि मुंबई के आरे के जंगल में पेड़ काटे जा रहे हैं। इस बारे में लिखे गए लेटर को जनहित याचिका के तौर पर रजिस्टर्ड कर लिया गया है।

मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने वाले छात्रों के प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि इस मामले में अपील करने के लिए समय नहीं है। लिहाजा चीफ जस्टिस से गुहार लगाई गई है। मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने भी शनिवार को आरे कॉलोनी में पेड़ों को काटने से पहले नई नोटिस जारी करने के पर्यावरण कार्यकर्ताओं के दावे को खारिज कर दिया। विरोध प्रदर्शन तेज होता गया तो पुलिस ने कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि गिरफ्तार पर्यावरणविदों को रविवार को पुलिस ने जमानत दे दी।

आरे में पेड़ों को काटे जाने का बचाव करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्ली मेट्रो का उदाहरण दिया था। उन्होंने कहा था, 'दिल्ली में मेट्रो आज दुनिया में सबसे अच्छी मेट्रो है। बाहर के देशों के लोग यहां आकर मेट्रो को देखते हैं कि इसका विकास कैसे हुआ। जब पहला मेट्रो स्टेशन बना तो 20-25 पेड़ गिराने की जरूरत थी, तो लोगों ने इसका विरोध किया लेकिन एक पेड़ के बदले पांच पेड़ लगाए गए और पिछले 15 साल में पेड़ बड़े हो गए हैं।

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English summary
Supreme Court takes suo motu cognisance of the Aarey tree felling
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