उत्तराखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे से किया मना
उत्तराखंडः पंचायत चुनाव में दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों के नामांकन को अयोग्य घोषित करने के फैसले पर राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सरकार के फैसले पर उत्तराखंड हाई कोर्ट के स्टे के आदेश पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि पांच अक्टूबर को होने वाले चुनाव में कोर्ट दखल नहीं देगा। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता रहे पक्षकारों को भी नोटि जारी किया है।
पंचायत चुनाव में दो से ज्यादा बच्चे वाले उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने वाले पंचायती राज संशोधन एक्ट को हाई कोर्ट से रद्द करने के मामले में उत्तराखंड सरकार ने कहा कि ये देशहित में नहीं होगा कि दो से ज्यादा बच्चे वाले उम्मीदवार चुनाव लड़े। बता दें कि सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने यह साफ कहा था कि इस संशोधन को लागू करने की कट ऑफ डेट 25 जुलाई 2019 होगी। यानी कि इस तारीख के बाद दो से अधिक बच्चे वाले प्रत्याशी चुनाव लड़ने के अयोग्य माने जाएंगे। जबकि 25 जुलाई 2019 से पहले जिसके तीन बच्चे हैं, वह चुनाव लड़ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के जज बने रहने से इंकार करते हुए राज्य के अधिनियम को रद्द कर दिया, जिसमें पंचायत चुनाव लड़ने से दो से अधिक बच्चे पैदा करने वाले लोगों का अपमान किया गया था।
बता दें कि 26 जून को उत्तराखंड में दो से ज्यादा संतान वाले अब पंचायत चुनाव न लड़ सकने वाला बिल पास किया गया था। बिल पारित होने के बाद से हजारों प्रत्याशी पंचायत चुनाव की दौड़ से बाहर हो गए। 26 जून को को उत्तराखंड सदन में सर्वसम्मति से एक विधेयक पास किया गया जिसमें यह प्रस्ताव है कि दो संतान से अधिक लोगों को चुनाव नहीं लड़ने दिया जाएगा। इस विधेयक में उम्मीदवार की न्यूनतम योग्यता भी तय की गई है।
दरअसल संशोधित उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम विधेयक 2016 को 25 जून मंगलवार को सदन में पेश किया गया लेकिन, विपक्ष की नाराजगी और बहस के बाद इसे बुधवार यानी कि 26 जून को पारित कर दिया है। विधेयक को सदन में सर्वसम्मति से हंगामे के बीच ध्वनिमत से पास कर दिया गया था। सदन में संशोधित बिल पास होने के बाद अब पंचायत चुनाव में लड़ने के लिए उम्मीदवार की योग्यता 10वीं पास अनिवार्य की गई है। जबकि महिला उम्मीदवार और एससी/एसटी के श्रेणी के पुरुष उम्मीदवार की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास तय की गई है।
यह भी पढ़ेंःसुप्रीम कोर्ट में चार नए जजों की नियुक्ति, न्यायधीशों की संख्या बढ़कर हुई 34