सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई सुनवाई पर रोक
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली और मुंबई हाईकोर्ट में सैनिटरी नैपकीन्स पर जीएसटी को लेकर चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पहले इस बात की जांच की जाएगी कि इस मामले पर सुनवाई उच्चतम न्यायालय में हो या नहीं।
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली और मुंबई हाईकोर्ट में सैनिटरी नैपकीन्स पर जीएसटी को लेकर चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पहले इस बात की जांच की जाएगी कि इस मामले पर सुनवाई उच्चतम न्यायालय में हो या नहीं। पिछले साल जेएनयू की पीएचडी छात्रा जरमीना इसार खान ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका डालकर सैनिटरी नैपकीन्स पर लगने वाले टैक्स को अवैध और असंवैधानिक बताया था।
सैनिटरी नैपकीन्स पर लगने वाले टैक्स को लेकर देशभर में काफी बहस चल रही है। फिलहाल सैनिटरी नैपकीन्स पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है जिसे महिलाएं हटाने की मांग कर रही हैं। जरमीना इसार ने अपनी याचिका में कहा था कि काजल, कुमकुम, सिंदूर, चूड़ियां, पूजा का सामान और गर्भ-निरोधक गोलियों को टैक्स स्लैब से बाहर रखा गया है। वहीं महिलाओं की जरूरत के सामान यानी सैनिटरी नैपकीन्स पर टैक्स लगाया गया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या इसे टैक्स स्लैब में लाने से पहले महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से विचार-विमर्श किया गया था या केवल आयात-निर्यात ड्यूटी को देखा गया। कोर्ट ने जीएसटी काउंसिल में कोई महिला के न होने पर भी नाराजगी जाहिर की थी। जुलाई में आए जीएसटी में 'जरूरत' के सामानों को टैक्स स्लैब से बाहर रखा गया था। इसमें चूड़ी, बिंदी और सिंदूर जैसा सामान था लेकिन सैनिटरी नैपकीन्स इस लिस्ट से गायब था।
इसके बाद से ही सरकार पर महिलाओं की जरूरतों का ध्यान न रखने के लिए चौतरफा निशाना साधा जा रहा है। अभिनेता अक्षय कुमार, जो मेंस्ट्रुएशन पर फिल्म 'पैडमैन' लेकर आ रहे हैं, उन्होंने कहा था कि सेना के बजट से पैसे कम कर लिए जाएं लेकिन महिलाओं के लिए सैनिटरी नैपकीन्स टैक्स फ्री किया जाए। वहीं अभिनेत्री काजोल ने कहा था कि अगर दूध और चावल पर टैक्स लग सकता है तो फिर सैनिटरी नैपकीन्स से क्या तकलीफ है।