सुप्रीम कोर्ट की तगड़ी फटकार, 'क्या खुद को भगवान मानता है पेट्रोलियम मंत्रालय'
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पेटकोक के इस्तेमाल से संबंधित मामले में सुनवाई के दौरान नाराजगी जाहिर करते हुए प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम मंत्रालय को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए पूछा कि क्या पेट्रोलियम मंत्रालय खुद को भगवान या कोई सुपर सरकार मानता है? जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच पेट्रोलियम मंत्रालय के रवैये से काफी नाराज थी और उन्होंने सुनवाई के वक्त ये टिप्पणी की।
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पेटकोक के आयात पर प्रतिबंध लगाने को लेकर सुनवाई
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया था कि रविवार को ही मंत्रालय ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पेटकोक के आयात पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे से अवगत कराया है, जिसका औद्योगिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसको लेकर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी।
'मंत्रालय खुद को भगवान मानता है क्या?'
सुप्रीम
कोर्ट
ने
इस
रवैये
पर
कड़ी
प्रतिक्रिया
देते
हुए
कहा
कि
इसका
मतलब
मंत्रालय
खुद
को
भगवान
मानता
है।
कोर्ट
ने
पूछा,
'क्या
मंत्रालय
भारत
सरकार
से
भी
ऊपर
है?,
वे
किसी
भी
आदेश
का
पालन
क्यों
नहीं
कर
रहे
हैं?
"
?'
क्या
वो
सोचते
हैं
कि
सुप्रीम
कोर्ट
के
'बेरोजगार'
जज
उन्हें
समय
देंगे?
क्या
हमें
पेट्रोलियम
और
प्राकृतिक
गैस
मंत्रालय
की
दया
पर
चलना
चाहिए।
पेट्रोलियम
एवं
प्राकृतिक
गैस
मंत्रालय
के
इस
लापरवाह
रवैये
के
लिए
सुप्रीम
कोर्ट
ने
25
हजार
रुपये
का
जुर्माना
भी
लगाया।
मंत्रालय के रवैये से सुप्रीम कोर्ट नाराज
पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी को दिन में हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दे दी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत मंत्रालय के जवाब देने के अपने हिसाब से वक्त तय करने के रवैये से हैरान है। बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर पर्यावरणविद् अधिवक्ता महेश चंद्र मेहता द्वारा 1985 में जनहित याचिका दायर की गई थी जिसपर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही थी।
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