सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और केंद्र सरकार को लगाई फटकार, कहा- जो हो रहा है अच्छा नहीं हो रहा
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस बात पर नाराजगी जताई कि दिल्ली और केंद्र की सरकार राजधानी के लोगों की चिंता किए बिना आपस में लड़ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि क्या ऐसे जनता की सेवा होती है, किसी को नागरिकों की समस्याओं से कोई मतलब ही नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हालात बहुत खराब हैं और इसे जारी रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की आलोचना की और कहा कि दिल्ली में अनधिकृत और अवैध निर्माण पर कार्रवाई करने के लिए उसके द्वारा नियुक्त निगरानी समिति को केंद्र कथित तौर पर भंग कर रहा है। न्यायधीश अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा कि समिति पिछले 13 सालों से काम कर रही है और अतिक्रमण व अवैध निर्माण के खिलाफ ऐक्शन ले रही है।
सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र की मंशा को साफ करने की कोशिश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बातों को तवज्जो नहीं दी। बेंच ने कहा 'हम आपको बहुत साफ-साफ बता रहे हैं कि जो कुछ हो रहा है, वह बहुत बुरा है। यह स्थिति अच्छी नहीं है। इसे ऐसा नहीं होना चाहिए। हम इस तरह की चीजों को इजाजत नहीं देते। हम बेहद नाखुश हैं। दिल्ली में सिस्टम के कामकाज को लेकर हम निराश हैं। दिल्ली में जो कुछ भी हो रहा है, उससे हम दुखी महसूस करते हैं।'
सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए साल 2006 में निगरानी समिति का गठन किया था। समिति में चुनाव आयोग के सलाहकार के.जे. राव, इन्वाइरनमेंट पलूशन कंट्रोल अथॉरिटी चेयरमैन भूरे लाल और मेजर जनरल सोम झिंगान शामिल हैं। अटॉर्नी जनरल की सलाह पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल केंद्र सरकार को डीडीए वाइस चेयरमैन के नेतृत्व में 13 सदस्यीय स्पेशल टास्क फोर्स के गठन का निर्देश दिया था।
एसटीएफ में नगर निकायों के प्रतिनिधियों को भी शामिल करने के लिए कहा था जो अतिक्रमण हटाने और जमीन पर फिर से कब्जा करने के लिए कारगर कदम उठाएगी। एसटीएफ की नियुक्ति के बाद निगरानी समिति और उसके बीच टकराव होने लगा। इसके बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से निगरानी समिति को भंग करने की मांग की। दूसरी तरफ निगरानी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कोर्ट से एसटीएफ को जारी रखने पर पुनर्विचार की मांग की है।