गौरक्षा के नाम पर हिंसा ना रुकने पर हरियाणा, यूपी, राजस्थान को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
गौरक्षा के नाम पर हिंसा ना रोकने पर हरियाणा, यूपी, राजस्थान को सुप्रीम कोर्ट की लताड़
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को रोकने के लिए लिए कोर्ट के आदेशों का पालन ना करने पर हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों को कड़ी फटकार लगाई है। सोमवार को अदालत ने कहा कि उसके आदेश के बावजूद इन सूबों की सरकारों ने गाय की रक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को रोकने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए हैं। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाय चंद्रचूड की खंडपीठ ने तुषार गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए तीनों सूबों की सरकार को लताड़ा है।
तीनों राज्य के मुख्य सचिवों को अवमानना नोटिस
राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कथित गौरक्षकों के हमले रोकने में नाकाम रहने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तीनों राज्य के मुख्य सचिवों को अवमानना नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि गौरक्षा के नाम पर हिंसा रोकने के लिए हर जिले में नोडल ऑफिसर तैनात किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में इस पर कोई पहल नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त रुख दिखाते हुए तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को अवमानना नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने तीनों राज्यों से सचिवों से तीन अप्रैल तक अपना जवाब देने को कहा है।
महात्या गांधी के पौत्र हैं याचिकाकर्ता
इस मामले में महात्मा गांधी के पौत्र तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य सरकारें गौरक्षकों पर लगाम लगाने में नाकाम रही हैं और जो आदेश कोर्ट ने दिए थे उन पर भी अमल नहीं हो रहा है। गांधी ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के बाद से कथित गौरक्षकों के ऐसे कुछ हमलों का भी जिक्र अदालत के सामने किया है।
बीते साल कोर्ट ने कही थी ऐसे मामलों में सख्ती की बात
बीते साल राजस्थान में कुछ कथित गौरक्षकों ने गाय लेकर जा रहे पहलू खान नाम के शख्स की सरेआम पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा था कि गौरक्षा के नाम पर हिंसा कर रहे लोगों पर कार्रवाई जरूरी है, इसके लिए राज्य सरकारों को भी कोर्ट ने निर्देश दिए थे। कोर्ट ने राज्य सरकारों को ऐसे मामलों के पीड़ितों को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया था।
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