सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल की लड़की के गर्भपात संबंधी याचिका पर मेडिकल बोर्ड से मांगी ये रिपोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल की लड़की जो 26 माह की गर्भवती है उसे गर्भपात करवाने की मांग संबंधी याचिका पर जांच करने के लिए मेडिकल बोर्ड गठन करने का आदेश दिया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने 4 साल की एक लड़की की 26 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निर्देश दिया कि हरियाणा के करनाल जिले में एक सरकारी अस्पताल द्वारा एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि 14 साल की बलात्कार की शिकार लड़की 26 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करना सुरक्षित होगा या नहीं। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अस्पताल को तुरंत मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया, जिसमें तीन डॉक्टरों को शामिल करने का आदेश दिया ताकि गर्भावस्था को समाप्त करने की व्यवहार्यता की जांच की जा सके।
सीजेआई बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की तीन- न्यायाधीस की पीठ ने मेडिकल बोर्ड को एक वीक में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। लड़की की ओर से एडवोकेट वीके बीजू ने कोर्ट से मेडिकल बोर्ड को ये निर्देश देने का अनुरोध किया। वकील ने इस केस की सुनवाई जल्द करने की गुजारिश की थी क्योंकि लड़की गर्भावस्था का 26 वां हफ्ता चल रहा है।
अधिवक्ता वीके बीजू के माध्यम से दायर लड़की की याचिका के अनुसार, उसके चचेरे भाई द्वारा उसके साथ बार-बार बलात्कार किया गया जिससे गर्भ ठहर गया। वकील ने तथ्य दिया है कि आरोपी पीड़ित याचिकाकर्ता की रियल ब्लड रिलेटिव है, इसलिए जन्म लेने वाले बच्चे में मानसिक और शारीरिक असामान्यताएं हो सकती हैं और इसलिए गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम की धारा 3 (2) (बी) अधिनियम के न्यायालय द्वारा अनुमोदित होने तक 20 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद भ्रूण के गर्भपात पर रोक लगाती है। SC बेंच, जिसमें जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन शामिल थे, ने भी हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर शुक्रवार तक जवाब मांगा है।
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