मराठा आरक्षण: आरक्षण सीमा 50 फीसदी से आगे बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट का सभी राज्य सरकारों को नोटिस
मराठा आरक्षण: आरक्षण सीमा 50 फीसदी से आगे बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट का सभी राज्य सरकारों को नोटिस
नई दिल्ली। मराठा आरक्षण मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से पूछा है कि क्या आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाया जा सकता है। अदालत ने सभी राज्यों से इस पर अपना पक्ष देने को कहा है। अदालत ने इस मामले पर सुनवाई के लिए 15 मार्च की तारीख दी है।
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मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच सुनवाई कर रही है। बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले का असर सभी राज्यों पर पड़ेगा। ऐसे में सभी राज्य सरकारों का पक्ष सुनना इसमें जरूरी है। शिक्षा और नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने के महाराष्ट्र सरकार के 2018 के फैसले को लेकर दाखिल याचिकाओं पर जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस बेंच में जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस रवींद्र भट हैं। मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि इस मामले में आर्टिकल 342A की व्याख्या शामिल है। जो सभी राज्यों को प्रभावित करेगा। इसलिए इस मामले में सभी राज्यों को सुनना चाहिए। सभी राज्यों को सुने बिना इस मामले में फैसला नही किया जा सकता। वहीं महाराष्ट्र सरकार के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि सुनवाई में देरी से हमारे ऊपर असर होगा।
क्या है मामला
महाराष्ट्र सरकार ने 2018 में मराठों को नौकरियों और शिक्षा में 16 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया था। जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट में इंदिरा साहनी केस का हवाला देते हुए तीन जजों की बैंच ने इस पर रोक लगा दी थी और इसे बड़ी बेंच को देने की बात कही थी।
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