असम सरकार को कोर्ट की फटकार, कहा- अवैध प्रवासियों के वापस भेजने के मामले के ढिलाई क्यों
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को असम सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार अवैध प्रवासियों के वापस भेजे जाने के विवाद को गंभीरता से नहीं ले रही। कोर्ट ने कहा कि काफी लंब समय बीत चुका है और इसे मजाक बनाकर रख दिया गया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ को असम सरकार ने सूचित किया कि बीते 10 साल में विदेशी न्यायाधिकरण ने लगभग 50 हजार से अधिक लोगों को विदेशी घोषित कर दिया है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से प्रधान पब्लिक प्रोसिक्यूटर तुषार मेहता ने कहा कि राज्य के कुल 6 हिरासत शिविरों में 900 लोगों को रखा गया है। कोर्ट ने असम सरकार से कहा कि आपको बताना होगा कि राज्य में काम कर रहे विदेशी न्यायधिकरण पर्याप्त हैं या नहीं और वह किस तरह काम करते हैं। कोर्ट ने कहा कि हम असम के मुख्य सचिव को पेश होने के लिए तो जोर नहीं दे रहे लेकिन हम सरकार के हलफनामे के जरिए जानना चाहते हैं कि राज्य में काम कर रहे विदेशी न्यायधिकरण पर्याप्त हैं या नहीं।
दरअसल असम में अवैध रूप से रह रहे लोग को रोकने के लिए सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) अभियान चलाया है, दुनिया के सबसे बड़े अभियानों में गिने जाने वाला यह कार्यक्रम डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट आधार पर है, जिसके तहत इंसान भारत का है या नहीं इसका पता लगाया जाएगा और जो लोग इसमें नहीं आएंगे उनकी पहचान पता करके उनके देश भेजा जाएगा।
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