'कोयला माफियाओं का इलाका है फिर जजों को सुरक्षा क्यों नहीं मिली',धनबाद जज की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल
'कोयला माफियाओं का इलाका है फिर जजों को सुरक्षा क्यों नहीं मिली',धनबाद जज की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल
नई
दिल्ली,
07
अगस्त:
सुप्रीम
कोर्ट
ने
झारखंड
धनबाद
के
अतिरिक्त
सत्र
न्यायाधीश
(जज)
उत्तम
आनंद
मर्डर
केस
पर
सुनवाई
करते
हुए
कहा
कि
ये
बहुत
दुखद
है
कि
एक
युवा
जज
की
मौत
हो
गई
है।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
कि
ये
झारखंड
की
विफलता
है।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
सवाल
उठाते
हुए
कहा,
कोयला
माफियाओं
का
इलाका
है
फिर
जज
को
सुरक्षा
क्यों
नहीं
मिली?
जजों
को
सुरक्षा
मिलनी
चाहिए
थी।
सीबीआई
और
आईबी
की
आलोचना
करते
हुए
सुप्रीम
कोर्ट
ने
ये
भी
कहा
कि
पुलिस
और
सीबीआई
न्यायाधीशों
(जजों)
की
शिकायतों
का
कोई
जवाब
नहीं
देती
है।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
है
कि
जांच
एजेंसियां
न्यायाधीशों
की
सुरक्षा
से
संबंधित
किसी
भी
मामलों
में
न्यायपालिका
की
बिल्कुल
भी
मदद
नहीं
कर
रही
है।
धनबाद
के
जज
उत्तम
आनंद
मर्डर
केस
की
जांच
हाल
ही
में
सीबीआई
को
सौंपी
गई
है।
गैंगस्टर, जजों को धमकाते हैं, ऐसे कई मामले हैं: SC
धनबाद के जज उत्तम आनंद के मौत के मामले में सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा, ''देश में ऐसे कई मामले हैं, जिनमें गैंगस्टर शामिल हैं और जहां हाई प्रोफाइल लोगों पर आरोप लगाया जाता है और जजों को कभी-कभी व्हाट्सएप, एसएमएस पर मैसेज भेजकर धमकाया जाता है, मानसिक रूप से परेशान किया जाता है या सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से परेशान किया जाता है। हालांकि इनमें से कुछ मामलों में सीबीआई जांच का आदेश दिया गया था लेकिन एजेंसी ने कुछ नहीं किया।''
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- CBI ने कुछ नहीं किया, हमें बदलाव की उम्मीद थी'
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना आगे कहा, ''एक या दो केसों में अदालतों ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। लेकिन यह कहना दुखद है कि सीबीआई ने कुछ नहीं किया। हमें सीबीआई के रवैये में कुछ बदलाव की उम्मीद थी। लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ है। सीजेआई ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से कहा, जो हमें इस मामले में सहायता करने के लिए कहा गया था, हमें खेद है।
'एक युवा जज की मौत दुर्भाग्यपूर्ण, झारखंड की विफलता है ये'
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने धनबाद के जज उत्तम आनंद के मौत को "राज्य की विफलता" कहा है। सीजेआई एनवी रमना ने कहा, ''एक युवा जज की मौत के दुर्भाग्यपूर्ण मामले को देखें, यह राज्य (झारखंड) की विफलता है। इस क्षेत्र में कोयला माफिया हैं और समाज और न्यायाधीशों के आवासों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए थी। क्यों जज को सुरक्षा नहीं दी गई थी।''
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झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पीठ को बताया कि राज्य ने न्यायाधीशों की सुरक्षा बढ़ा दी है और जहां कोई नहीं है वहां चारदीवारी भी बनाई है। इसपर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि कठोर अपराधियों को चारदीवारी से नहीं रोका जा सकता।
'न्यायपालिका को बदनाम करना, इस देश का नया चलन है'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''यह इस देश में एक नया चलन है। यदि कोई प्रतिकूल आदेश पारित किया जाता है तो न्यायपालिका को बदनाम किया जाता है। अगर उसके बाद कोई न्यायाधीश पुलिस या सीबीआई को शिकायत दर्ज कराते हैं तो वे कोई जवाब नहीं देते हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो और सीबीआई न्यायपालिका की बिल्कुल भी मदद नहीं कर रहे हैं, मैं ये बात पूरी जिम्मेदारी के साथ यह कह रहा हूं।''