पटाखों पर रोक को किसी एक समुदाय के खिलाफ देखा जाना सही नहीं: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर: दिवाली के त्योहार से ठीक पहले पटाखे चलाने पर रोक को सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से पालन कराए जाने के लिए कहा है। गुरुवार को कोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध के उसके आदेश को गंभीरता से नहीं लेने के लिए राज्य सरकारों को फटकार भी लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध को किसी विशेष समुदाय के खिलाफ नहीं देखा जाना चाहिए। जैसा कि कई बार प्रचारित किया जाता है।
आदेश को किसी धर्म के खिलाफ ना देखा जाए
पटाखों की बिक्री पर लगे प्रतिबंध के उल्लंघन के एक मामले की सुनवाई के कोर्ट ने कहा, प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल किया गया है। ये जरूरी है कि राज्य प्रतिबंधित पटाखों पर लगी पाबंदी को सख्ती से लागू करें। जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस ए एस बोपन्ना की बेंच ने कहा कि कोर्ट के आदेशों का पूरी तरह से पालन किया जाए। पटाखों पर बैन किसी त्योहार या धर्म विशेष के खिलाफ नहीं था। हम लोगों के जीवन के अधिकार की रक्षा के लिए बैठे हैं। ऐसे में हम त्योहारों के नाम पर लोगों की जान से खेलने की इजाजत नहीं दे सकते हैं।
खुलेआम बिक रहे पटाखे
बेंच ने कहा, उन अधिकारियों को कुछ जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए जिन्हें आदेश को जमीनी स्तर पर लागू करने का अधिकार दिया गया है। पटाखे बाजार में खुलेआम मिल रहे हैं। प्रदूषण की वजह से दिल्ली के लोगों पर क्या बीत रही है यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है।
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निर्माताओं को जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने सिर्फ ग्रीन पटाखों की इजाजत दी थी, ऐसे में बाकी पटाखे पर बैन सुनिश्चित हो। सुप्रीम कोर्ट ने छह पटाखा निर्माताओं को नोटिस भी जारी किया। अदालत ने नोटिस भेजकर इन पटाखा निर्माताओं से पूछा है कि आदेशों का उल्लंघन करने के लिए उनको दंडित क्यों नहीं किया जाए।