MP Govt Crisis: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'हम नहीं चाहते हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा मिले'
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार और भारतीय जनता पार्टी के बीच सियासी संग्राम अब सुप्रीम कोर्ट के कटघरे में पहुंच गया है। शीर्ष न्यायालय ने बीजेपी की याचिका पर बुधवार को सुनवाई की जो आज यानी की गुरुवार को भी जारी है। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि अगर सत्र नहीं चल रहा है और सरकार बहुमत खो देती है तो राज्यपाल को ये अधिकार है कि विश्वास मत कराने के लिए वह स्पीकर को निर्देश दे। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, विधानसभा के सदस्यों को विचार की आजादी नहीं, वे व्हिप से संचालित होते हैं। अदालत ने कहा कि नियमों के मुताबिक एक लाइन का इस्तीफा होना चाहिए।
गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत 22 विधायकों के पद से इस्तीफा देने के बाद कमलनाथ सरकार संकट में फंस गई है। दूसरी ओर सिंधिया ने भाजपा में शामिल होकर कांग्रेस को सरकार बचाने की चुनौती भी दे दी है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ व हेमंत गुप्ता की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की और कहा कि विधायकों का इस्तीफा एक लाइन का होना चाहिए। दूसरी ओर मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर ने कोर्ट से कहा कि गवर्नर यह तय नहीं कर सकता है कि सरकार बहुमत खो चुकी है या नहीं, यह सदन ही तय करता है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा हम नहीं देना चाहते हैं, विधानसभा में फ्लोर टेस्ट जल्द से जल्द हो। कोर्ट फ्लोर टेस्ट का आदेश देता है, इसका मकसद यही है कि जरूर कदम उठाए जाएं।
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सुनवाई के दौरान स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट से दो हफ्ते का समय मांगा जिसपर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भड़क गए। शिवराज सिंह ने कहा है, स्पीकर को दो हफ्ते का समय क्यों चाहिए? क्या ये समय हॉर्स ट्रेंडिंग में शामिल होने के लिए मांगा जा रहा है? कांग्रेस को पता है कि वो बहुमत खो चुके हैं। लगता है कि ये समय कुछ और ट्रांसफर करने के लिए चाहिए। शिवराज सिंह ने कहा कि न्याय की जीत होगी। सर्वोच्च न्यायालय पर हमारा पूरा विश्वास है, सरकार हमारी ही बनेगी। शिवराज सिंह चौहान ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर विधानसभा में जल्द फ्लोर टेस्ट करवाने की अपील की है।
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