सबरीमाला पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज, जानें पूरा मामला
नई दिल्ली। केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर पर दायर पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाने वाला है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस मंदिर की कई खासियतें हैं, बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं और दर्शन करते हैं। मान्यताओं के अनुसार मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी है। केरल के इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सबसे पहला विवाद सामने आया था। आइए जानते हैं सबरीमाला मंदिर के बारे में सब कुछ...
इस
दावे
से
शुरू
हुआ
विवाद
वर्ष
2006
में
मंदिर
के
मुख्य
ज्योतिषि
ने
दावा
किया
कि
भागवान
अयप्पा
अपनी
ताकत
खो
रहे
हैं
क्योंकि
मंदिर
में
किसी
युवा
महिला
ने
प्रवेश
किया
था।
इसके
बाद
एक्टर
प्रभाकर
की
पत्नी
जयमाला
ने
दावा
किया
कि
उन्होंने
अयप्पा
की
मूर्ति
को
छुआ
और
उनकी
वजह
से
वह
अपनी
शक्तियां
खो
रहे
हैं।
उन्होंने
प्रायश्चित
करने
की
बात
भी
कही
थी।
एक्ट्रेस
ने
कहा
कि
उन्होंने
1987
में
वह
अपने
पति
के
साथ
मंदिर
गई
थीं
लेकिन
भीड़
की
वजह
से
वह
गर्भगृह
में
पहुंच
गईं।
उसके
बाद
वह
भगवान
अयप्पा
के
चरणों
में
गिर
गईं।
सुप्रीम
कोर्ट
पहुंचा
मामला
एक्ट्रेस
के
दावे
के
बाद
केरल
में
हंगामा
मच
गया
और
मंदिर
में
महिलाओं
के
प्रवेश
पर
प्रतिबंध
होने
का
लोगों
को
पता
चला।
2006
में
यंग
लॉयर्स
असोसिएशन
ने
महिलाओं
के
प्रतिबंध
के
खिलाफ
सुप्रीम
कोर्ट
में
याचिका
दायर
की,
इसके
बाद
यह
मामला
10
साल
तक
लटका
रहा
और
वर्ष
2017
सुप्रीम
कोर्ट
ने
अपना
फैसला
सुनाया
था।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
किया
हस्तक्षेप
याचिका
दायर
होने
के
बाद
सुप्रीम
कोर्ट
ने
मंदिर
के
ट्रस्ट
से
महिलाओं
को
प्रवेश
ने
देने
पर
जवाब
मांगा।
इसपर
ट्रस्ट
ने
कहा
कि
मान्यताओं
के
अनुसार
भगवान
अयप्पा
ब्रह्मचारी
थे
इसलिए
मंदिर
में
जिन
महिलाओं
का
मासिक
धर्म
शुरू
हो
चुका
है
उनको
प्रवेश
करने
नहीं
दिया
जाता।
7
नवंबर
2017
को
सुप्रीम
कोर्ट
ने
अपना
रुख
साफ
किया
और
कहा
कि
कोर्ट
मंदिर
में
हर
उम्र
की
महिलाओं
को
प्रवेश
दिए
जाने
के
पक्ष
में
है।
वर्ष
2018
में
आया
ऐतिहासिक
फैसला
28
सितंबर
2018
को
सुप्रीम
कोर्ट
ने
मामले
की
सुनवाई
करते
हुए
मंदिर
में
महिलाओं
के
प्रवेश
पर
रोक
को
हटा
दिया।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
कि,
हमारी
संस्कृति
में
महिलाओं
का
स्थान
उच्च
है,
यहां
महिलाओं
को
देवी
के
रूप
में
पूजा
जाता
है।
सबरीमाला
मंदिर
में
महिलाओं
को
प्रवेश
से
रोका
जाना
न्यायालय
को
स्वीकार
नहीं
है।
कोर्ट
का
फैसला
आने
के
बाद
काफी
बवाल
मचा
और
आज
भी
मंदिर
में
महिलाओं
को
प्रवेश
नहीं
करने
दिया
जाता।
इस
मामले
पर
सुप्रीम
कोर्ट
में
पुनर्विचार
याचिका
दायर
की
गई
जिसपर
आज
फैसला
आना
है।
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