सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, RTI के दायरे में आएगा चीफ जस्टिस का दफ्तर
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस याचिका पर अहम फैसला सुनाया जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के कार्यालय को पारदर्शिता कानून के तहत आरटीआई के अधीन लाने की मांग की गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सीजेआई दफ्तर अब RTI के अधीन आएगा। इसके पहले, सीजेआई के नेतृत्व वाली पांच जजों की पीठ ने चार अप्रैल को इस अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि चीफ जस्टिस का दफ्तर सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे में आएगा। हालांकि, निजता और गोपनीयता का अधिकार बरकरार रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ शर्तों के साथ चीफ जस्टिस का दफ्तर आरटीआई के दायरे में आएगा। इस याचिका को आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने दाखिल किया है।
Supreme Court holds that office of Chief Justice of India is public authority under the purview of the transparency law, Right to Information Act (RTI). pic.twitter.com/97pyExixuQ
— ANI (@ANI) November 13, 2019
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा था कि कोई भी अपारदर्शिता की व्यवस्था नहीं चाहता है। लेकिन पारदर्शिता के नाम पर न्यायपालिका को नष्ट नहीं किया जा सकता है। बेंच ने कहा था कि कोई भी अंधेरे की स्थिति में नहीं रहना चाहता या किसी को अंधेरे की स्थिति में नहीं रखना चाहता। आप पारदर्शिता के नाम पर संस्था को नष्ट नहीं कर सकते।
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RTI के दायरे में आएगा चीफ जस्टिस का दफ्तर
दिल्ली हाईकोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 10 जनवरी 2010 को दिए गए फैसले में सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखा था। इस फैसले में कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग के निर्देश के खिलाफ आपत्ति जताने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। साल 2010 में दायर इस याचिका को 2016 में संविधान बेंच को भेजे जाने का निर्णय सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने किया था।