मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट: पिछले आदेश की समीक्षा के लिए SC तैयार, कहा- हम काले धन की रोकथाम के समर्थन में
नई दिल्ली, 25 अगस्त: मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के प्रावधानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। जिस पर गुरुवार को खुली अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि हमें लगता है कि कुछ मुद्दों पर फिर से गौर करने की जरूरत है। कोर्ट काले धन या मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम के पूरी तरह से समर्थन में है। इसके साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को बरकरार रखने के फैसले के खिलाफ दायर इस याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर अपना फैसला सुनाया था, जिसमें जांच और गिरफ्तारी के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों को बरकरार रखा गया। जिस पर कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और 27 जुलाई वाले फैसले को लेकर पुनर्विचार याचिका डाली। इसी याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए उसके सभी पहलुओं पर विचार करने की बात कही है।
ये
है
चिदंबरम
की
दलील
कार्ति
चिदंबरम
के
मुताबिक
गंभीर
त्रुटि
और
संविधान
के
पहले
के
फैसलों
और
प्रावधानों
के
विपरीत
होने
के
आधार
पर
फैसले
की
समीक्षा
की
जानी
चाहिए।
ये
आदेश
संविधान
के
अनुच्छेद
20
और
अनुच्छेद
21
के
विपरीत
है।
साथ
ही
आपराधिक
न्यायशास्त्र
के
तय
सिद्धांतों
और
अदालत
द्वारा
पुनर्विचार
के
योग्य
है।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फिर हुई जैकलीन फर्नांडीज से पूछताछ, सामने आया एक्ट्रेस का बयान
गिरफ्तारी,
रेड,
समन
को
ठहराया
था
सही
इससे
पहले
के
आदेश
ने
सुप्रीम
कोर्ट
ने
ईडी
द्वारा
की
जा
रही
गिरफ्तारी,
छापेमारी
और
समन
आदि
को
सही
ठहराया
था।
कोर्ट
ने
कहा
था
कि
PMLA
एक्ट
में
ED
को
दिए
गए
सभी
अधिकार
सही
हैं।
प्रवर्तन
मामले
की
सूचना
रिपोर्ट
(ईसीआईआर)
को
एफआईआर
के
साथ
नहीं
जोड़ा
जा
सकता
है।
ईसीआईआर
की
कॉपी
आरोपी
को
देना
जरूरी
नहीं
है।
बस
ईडी
को
गिरफ्तारी
का
कारण
बताना
चाहिए।