एम नागेश्वर राव की अंतरिम CBI निदेशक पर नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुरक्षित
नई दिल्ली। एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि कॉमन कॉज एनजीओ की ओर से दायर की गई याचिका में सीबीआई निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी, सार्वजनिक बनाए जाने की मांग भी की गई है। केंद्र सरकार ने 10 जनवरी को आलोक वर्मा को हटाने के बाद एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किया था।
याचिका में दलील, नियुक्ति के लिए नहीं ली गई हाई पॉवर कमेटी की मंजूरी
एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से दायर की गई इस याचिका में कहा गया है कि इस नियुक्ति के लिए हाई पॉवर कमेटी की मंजरी नहीं ली गई जो कि DSPE एक्ट का उल्लंघन है। ऐसे में नियुक्ति रद्द होनी चाहिए। इसके साथ-साथ याचिका में कहा गया है कि 23 अक्टूबर को नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किये जाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट 8 जनवरी को रद्द कर चुका है, इसके बावजूद सरकार ने मनमाने और गैर कानूनी तरीके से फिर से अंतरिम निदेशक बना दिया।
सरकार ने कहा नियुक्ति उचित तरीके से हुई
वहीं केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीबीआई निदेशक को उचित तरीके से नियुक्त किया गया था। वहीं कॉमन कॉज की ओर से दलील देते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि याचिका में सीबीआी निदेशक की भविष्य की नियुक्ति के लिए पारदर्शिता की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि नीति और नियुक्ति के मापदंड की जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए।
कोर्ट ने क्या कहा
याचिकाकर्ता की ओर से सीबीआई निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरटीआई कानून में चयन प्रक्रिया के प्रावधान हैं। अदालत ने कहा कि उन्हें इसके लिए एक आरटीआई आवदेन दायर करना चाहिए और यदि कोई सूचना देने से इनकार करता है तो वे अपील कर सकते हैं। इसके बाद प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्होंने उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के विवरण के बारे में एक आरटीआई दायर की है, लेकिन अभी तक सरकार ने मामले में कोई जवाब नहीं दिया है।