SC/ST कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
नई दिल्ली। SC/ST कर्मचारियों को सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा लिया। कोर्ट इस बात पर सुनवाई कर रहा था कि 12 साल पुराने एम नागराज मामले में कोर्ट के फैसले की समीक्षा की जरूरत है या नहीं।
इस फैसले मे कहा गया है कि एससी-एसटी को प्रोमोशन में रिजर्वेशन देने के लिए सरकार को उनके पिछड़ेपन और पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने के आंकड़े जुटाने होंगे। दरअसल, पिछली सुनवाई में पक्षकारों के वकील शांति भूषण ने नागराज के फैसले पर पुनर्विचार को लेकर केंद्र सरकार की याचिका का विरोध किया था। भूषण ने कहा था कि यह वोट बैंक की राजनीति है और इस मुद्दे को राजनीतिक बनाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि पदोन्नति में कोटा अनुच्छेद 16 (4) के तहत संरक्षित नहीं है, जहां 'क्रीमी लेयर' की अवधारणा आ जाएगी।
भूषण ने कहा था कि सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में SC/ST के लिए कोटा अनिवार्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती और ये संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करेगा। भूषण ने नागराज के फैसले को न्यायसंगत ठहराते हुए कहा था कि क्या SC/ST के लिए सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण विभिन्न कैडरों या सेवाओं में उनके प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के डेटा के बिना प्रदान किया जा सकता है?