अमीश देवगन के ख़िलाफ़ FIR रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
इस साल 15 जून को प्रसारित अपने टीवी शो में अमीश देवगन ने सूफ़ी संत के बारे में कथित अपमानजनक बातें कही थीं.
सुप्रीम कोर्ट ने सूफ़ी संत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी के मामले में न्यूज़ एंकर अमीश देवगन के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को ख़ारिज करने से इनकार कर दिया है.
सूफ़ी संत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अमीश देवगन के ख़िलाफ़ अलग-अलग राज्यों में दर्ज कराई गई एफ़आईआर को राजस्थान के अजमेर ट्रांसफ़र करने के लिए भी कहा है.
इससे पहले 25 सिंतबर को जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने अमीश देवगन की उस याचिका पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा था जिसमें न्यूज़ एंकर ने कहा था कि उनकी ज़ुबान फिसल गई थी और इसके लिए अपनी ओर से खेद भी ज़ाहिर कर चुके हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, सोमवार को जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सभी एफ़आईआर को मिलाते हुए कहा है कि अमीश देवगन जाँच में यदि सहयोग करते हैं तो उनके ख़िलाफ़ कोई कड़ी कार्रवाई न की जाए.
इस साल 15 जून को प्रसारित अपने टीवी शो में अमीश देवगन ने सूफ़ी संत के बारे में कथित अपमानजनक बातें कही थीं, जिसके बाद उनके ख़िलाफ़ राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में मामले दर्ज कराए गए थे.
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब इन सभी मामलों को राजस्थान के अजमेर स्थानांतरित कर दिया है.
अमीश देवगन ने टीवी प्रोग्राम में माफ़ी माँगने के अलावा 16-17 जून को ट्विटर के ज़रिए भी अपनी सफ़ाई दी थी.
अमीश देवगन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कथित अपमानजनक टिप्पणियों से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाई है.
अजमेर में 13वीं शताब्दी के पूजनीय सूफ़ी संत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरग़ाह है जहाँ हर साल बड़ी संख्या में लोग ज़ियारत करने पहुँचते हैं.