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सेक्शन 377 की सुनवाई टालने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मांग को ठुकराया, कल आएगा फैसला

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नई दिल्ली। सेक्शन 377 पर सुनवाई की तारीख को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया है। केंद्र सरकार ने समलैंगिक संबंधों से जुड़े सेक्शन 377 की सुनवाई की तयसीमा को आगे बढ़ाने की मांग करते हुए 4 हफ्तों का वक्त मांगा था। जस्टिस मिश्रा ने केंद्र के आग्रह को ठुकराते हुए कहा है कि वे 10 जुलाई को ही सेक्शन 377 के संबंध में उन्हीं की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ फैसला सुनाएगी।

सेक्शन 377 की सुनवाई टालने की मांग रिजेक्ट, कल आएगा फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने सेक्शन 377 को असंवैधानिक बताते हुए इसे अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलटते हुए सेक्शन 377 पर पूनर्विचार करने और कानून बनाने के लिए संसद पर छोड़ दिया था।

सेक्शन 377 को चुनौती देने के लिए कुल 12 सेलेब्रिटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें आईआईटीयंस और एलजीबीटी एक्टिविस्ट भी शामिल हैं। रिट का याचिकाओं पर सेक्शन 377 को अपराध की श्रेणी को बाहर रखने के लिए कोर्ट मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगी।

आईपीसी की धारा 377 के अनुसार यदि कोई वयस्‍क स्वेच्छा से किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध स्थापित करता है तो, वह आजीवन कारावास या 10 वर्ष और जुर्माने से भी दंडित हो सकता है। आईपीसी की इस धारा से संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के उल्लंघन और मौलिक अधिकारों के हनन का हवाला देते हुए समलैंगिकता की पैरोकारी करने वाले नाज फाउंडेशन ने दिल्ली हाई कोर्ट में इसे खत्म कने की मांग की।

यह भी पढे़ं: धारा 377 की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट, सरकार को भेजा नोटिस

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English summary
Supreme Court refuses to delay Section 377 hearing, rejects Centre's plea
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