अयोध्या केस: मध्यस्थता और उसकी निगरानी कैसे हो इस पर शुक्रवार को फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को मध्यस्थता के जरिए हल निकाले जाने को लेकर शुक्रवार को फैसला सुनाएगा। जिसमें मध्यस्थता और उसकी निगरानी को लेकर फैसला होगा ताकि इसका स्थायी समाधान निकाला जा सके। बता दें कि इससे पहले बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट आपसी बातचीत के जरिए विवाद हल निकालने पर जोर दिया था।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ कर रही है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हमें इसकी चिंता नहीं कि मुगल शासक बाबर ने क्या किया, उसके बाद क्या हुआ। हम वर्तमान हालात पर बात कर रहे हैं। बोबडे ने कहा कि
कोर्य ने कहा कि यहां मध्यस्थ होने की जरूरत नहीं है, लेकिन मध्यस्थों का एक पैनल है। जब मध्यस्थता चालू होती है, तो उस पर रिपोर्ट नहीं की जानी चाहिए। इस पर प्रतिबंध नहीं है, लेकिन मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू होने पर किसी भी मकसद को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। बता दें कि सुनवाई के दौरान जहां मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष की तरफ से निर्मोही अखाड़ा मध्यस्थता के लिए तैयार दिखा।
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लेकिन हिंदू महासभा और रामलला पक्ष ने इस पर सवाल उठाया। हिंदू महासभा के वकीलों ने मध्यस्थता का विरोध किया था और कहा था कि इस प्रकार की कोशिशें पहले भी हो चुकी हैं जो हर बार नाकाम रही है। लेकिन बाबरी मस्जिद पक्ष ने मध्यस्थता पर चिंता तो जताई थी, लेकिन ये भी कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट इसकी निगरानी करती है तो वह तैयार हैं।
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