कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा था कि पिछले दो दशकों में बहुत भ्रम हो चुका है।
नई दिल्ली। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगा। कावेरी विवाद पर फैसला चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच सुनाएगी जिसमें जिसमें जस्टिस अमिताव रॉय और जस्टिस खानविलकर भी होंगे। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि दो दशकों से अधिक समय के दौरान कावेरी विवाद को लेकर काफी भ्रम पैदा किया जा चुका है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा था कि पिछले दो दशकों में बहुत भ्रम हो चुका है। शीर्ष अदालत ने समाज सेविका किरण मजुमदार शाह के नेतृत्व में नागरिकों के एक समूह बेंगलोर पॉलिटिकल एक्शन कमेटी द्वारा 2016 में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की थी। इस याचिका में नागरिकों ने बेंगलुरु और आस पास के जिलों के निवासियों के लिये जलापूर्ति हेतु हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था। न्यायालय की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण के 2007 के अवॉर्ड के खिलाफ कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की अपीलों पर 20 सितंबर, 2017 को सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा।
कावेरी मुद्दे पर 2007 में निर्णय आने पर तमिलनाडु और कर्नाटक सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। पिछले साल 20 सितम्बर को इसी मामले की एक सुनवाई के दौरान कर्नाटक ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा था कि 1924 में ब्रिटिशकालीन मद्रास प्रांत और मैसूर रियासत के बीच हुए समझौते को मौजूदा कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल बंटवारा विवाद में आधार नहीं बनाया जा सकता। वहीं तमिलनाडु ने भी जल बंटवारे के फैसले को लेकर असंतुष्टि दिखाई थी।
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