सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को सजा पर फैसला सुरक्षित रखा
नई दिल्ली। सीनियर वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ कोर्ट की अवमानना मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। भूषण को कोर्ट पहले ही दोषी ठहरा चुका है और आज सजा का ऐलान होना था। सुनवाई के दौरान एजी और भूषण के वकील राजीव धवन ने उनको सजा ना देने की बात कही। अटॉर्नी जनरल ने उनको चेतावनी देकर छोड़ने की अपील कोर्ट से की। सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया। प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज को लेकर जो ट्वीट किया था, उसे कोर्ट ने अवमानना मानते हुए उन्हें दोषी करार दिया था और इस मामले में प्रशांत भूषण को माफी मांगने के लिए कहा था, लेकिन प्रशांत भूषण ने माफी मांगने से इनकार कर दिया।
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सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हम निष्पक्ष आलोचना का स्वागत करते हैं लेकिन हमें आलोचना का जवाब देने के लिए प्रेस में जा सकते हैं। एक जज के रूप में, मैं कभी प्रेस में नहीं गया। यही वह नैतिकता है जिसका हमें अवलोकन करना है। भूषण के बयान और सफाई को पढ़ना दर्दनाक है। प्रशांत भूषण जैसे 30 साल के अनुभव वाले वरिष्ठ वकील को इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए। जस्टिस मिश्रा ने कहा हम अंदर और बाहर की बहुत सी बातें जानते हैं लेकिन क्या हम उन सबके लिए प्रेस में जा सकते हैं? हम नहीं जा सकते। हमें एक दूसरे की और संस्था की गरिमा की रक्षा करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन से पूछा कि इस मामले में उनके मुवक्किल को क्या सजा दी जा सकती है? इस पर धवन ने कहा कि ऐसे मामलों में कोर्ट उनकी प्रैक्टिस पर तीन महीने तक की रोक लगा सकता है। धवन ने अपनी ही ओर से कहा कि यह मामला यहीं खत्म कर दीजिए। प्रशांत भूषण को शहीद मत बनाइए।
इससे पहले 20 अगस्त को भी प्रशांत भूषण अवमानना मामले में सर्वोच्च अदालत ने भूषण के खिलाफ सजा पर सुनवाई टाल दी थी। कोर्ट ने उनको अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा था और इसके लिए उनको दो दिन का समय दिया था। अदालत ने भूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों के खिलाफ उनके ट्वीट के लिए स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की और उन्हें सुप्रीम कोर्ट की अपराधिक अवमानना का दोषी पाया है। अदालत ने उनके खिलाफ यह फैसला बीते 14 अगस्त को सुनाया था।
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