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शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से मध्यस्थता की जिम्मेदारी संजय हेगड़े-साधना रामचंद्रन को दी जा सकती है

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नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जिस तरह से पिछले काफी दिनों से दिल्ली के शाहीन बाग में महिलाएं धरना प्रदर्शन कर रही हैं, उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन आप सड़क को बंद नहीं कर सकते हैं। बता दें कि शाहीन बाग के प्रदर्शन के खिलाफ एडवोकेट अमित शाहनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, उन्होंने अपील की थी कि शाहीन बाग के प्रदर्शन की वजह से सड़क बंद है और लोगों को आने जाने में काफी दिक्कत होती है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट दिल्ली पुलिस को निर्देश दे कि वह ट्रैफिक के सुगम संचालन को सुनिश्चित करे। बता दें कि शाहीन बाग पर 15 दिसंबर से प्रदर्शन चल रहा है, जिसकी वजह से यह रोड़ बंद है।

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याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन आप सड़क को बंद ना करें। इससे अव्यवस्था हो हो सकती है। आज आप प्रदर्शन कर रहे हैं, कल कोई और प्रदर्शन करेगा। लोगों को इससे विचार मिलता है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से कौन बात कर सकता है और मध्यस्थ की जिम्मेदारी निभा सकता है। इस दौरान वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन का नाम सामने आया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 24 फरवरी तय की है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिया था बड़ा बयान

बता दें कि 10 फरवरी को जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने केंद्र और दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को प्रदर्शन के बाबत नोटिस जारी किया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शांतिपूर्वक चलने वाले विरोध प्रदर्शनों का समर्थन करते हुए शनिवार को कहा कि, असहमति को एक सिरे से राष्ट्र-विरोधी और लोकतंत्र-विरोधी बता देना लोकतंत्र पर हमला है। असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है। उन्होंने कहा कि विचारों को दबाना देश की अंतरात्मा को दबाना है। उनकी यह टिप्पणी ऐसे वक्त आई है जब संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) को लेकर देश के कई हिस्सों में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

असहमति राष्ट्र विरोध नहीं

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने कहा, 'असहमति को एक सिरे से राष्ट्र-विरोधी और लोकतंत्र-विरोधी करार देना संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण एवं विचार-विमर्श करने वाले लोकतंत्र को बढ़ावा देने के प्रति देश की प्रतिबद्धता की मूल भावना पर चोट करती है। उन्होंने कहा कि असहमति का संरक्षण करना इस बात की याद दिलाता है कि लोकतांत्रिक रूप से एक निर्वाचित सरकार हमें विकास और सामाजिक समन्वय के लिए एक सही टूल देती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार उन मूल्यों और पहचानों पर कभी एकाधिकार का दावा नहीं कर सकती जो हमारी बहुलवादी समाज को परिभाषित करती हैं।

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English summary
Supreme Court on Shaheen Bagh: You have right to protest but do not block the road.
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