सुप्रीम कोर्ट ने केरल में हाथी के मौत के मामले में केन्द्र समेत 13 राज्यों को दिया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने केरल में हाथी के मौत के मामले में केन्द्र समेत 13 राज्यों को दिया नोटिस
नई दिल्ली। मई माह में केरल के पलक्कड़ में एक गर्भवती हाथी की विस्फोटक सामग्री से भरा फल खाने से मौत हो गई थी। इस मामले पर वहां के वन विभाग ने जांच के बाद बताया था कि जिस विस्फोटक सामग्री से भरे फल को खाकर गर्भवती हथिनी की मौत हुई उसे वहां के स्थानीय निवासियो ने सुअर भगाने के लिए रखा था। जिसे उसने खा लिखा। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बर्बर तरीकें से जानवरों को भगाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले पर केन्द्र समेत 13 राज्यों से जवाब मांगा है।
ये जवाब सुप्रीम कोर्ट ने जंगली पशुओं को भगाने के लिये देश में प्रचलित बर्बर तरीकों को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताते हुये इन पर रोक के लिये दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सुनाया। कोर्ट ने शुक्रवार को केन्द्र समेत 13 राज्यों को नोटिस जारी की। इस मामले पर वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने केन्द्र और केरल सहित 13 राज्यों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है।
ऐसे मामलों में दिशा निर्देश जारी करने की गई अपील
बता दें ये केस अधिवक्ता सुभम अवस्थी ने दायर किया है । याचिका में केरल में 27 मई को एक गर्भवती हथिनी की दर्दनाक मृत्यु की घटना का हवाला देते हुए ऐसे मामलों में दिशा निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया था। मालूम हो कि हथिनी को कुछ स्थानीय लोगों ने कथित रूप से पटाखों से भरा अनानास खिला दिया था। अनानास में भरे पटाखों के विस्फोट से हथिनी बुरी तरह जख्मी हो गयी थी और उसकी मौत हो गई थी। कोर्ट में दाखिल की गई इस अपील में केरल समेत आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, मेघालय, नगालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में सभी वन रक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्तियां करने का निर्देश देने की अपील की गई है।
जानवरों को भगाने के लिए बर्बर तरीकों को गैरकानूनी घोषित करने का अनुरोध
इसके साथ ही मांग की वन्यजीवों को भगाने के लिये उनके लिए फंदा, जाल बिछाने और विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल करने जैसे बर्बर तरीकों को गैरकानूनी, असंवैधानिक है और इसे संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करने वाला घोषित करने का अनुरोध किया गया है। बता दें अन्य देशों में ऐसे कानून हैं जिसके अनुसार जानवरों के साथ ऐसा व्यवहार करने वालों के लिए सख्त सजा का प्रवाधान हैं लेकिन भारत में कानून के माध्यम से सुधार के प्रवाधानों के बाद भी नागरिकों और वन्यजीवों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
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